पंचायत कजलास की महिला पर सरपंच का अत्याचार! जान से मारने की धमकी के साथ मकान तोड़ने की धमकी, पुलिस थाने में मामला दर्ज! - YES NEWS

पंचायत कजलास की महिला पर सरपंच का अत्याचार! जान से मारने की धमकी के साथ मकान तोड़ने की धमकी, पुलिस थाने में मामला दर्ज!

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सीहोर।

ग्राम कजलास:

ग्राम पंचायत कजलास की निवासी सोरम् बाई पति आत्माराम मालवीय ने स्थानीय थाने में सरपंच बाबूलाल जाटव के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए आवेदन प्रस्तुत किया है। उन्होंने सरपंच पर मकान निर्माण रोकने, जान से मारने की धमकी देने, गाली-गलौच करने और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। सोरम् बाई ने अपने आवेदन में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि सरपंच बाबूलाल जाटव लगातार उनके और उनके परिवार को गांव छोड़ने पर मजबूर कर रहा है और उनकी जमीन पर कब्जा करने की धमकी दे रहा है।

महिला का दर्द:

सोरम् बाई ने कहा, “महोदय, मैं और मेरा परिवार कच्चे मकान में रह रहे हैं, जो पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। मैंने सरकार द्वारा दिए गए आवासीय पट्टे पर नया मकान बनवाने की प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन सरपंच बाबूलाल जाटव और उसके गुंडे हमें मकान बनाने नहीं दे रहे हैं। उन्होंने बार-बार मकान गिराने की धमकी दी है और कहा है कि उनकी राजनीतिक पहुंच बहुत बड़ी है, इसलिए हमें न्याय नहीं मिलेगा।”

सरपंच की गुंडागर्दी:

सोरम् बाई ने यह भी आरोप लगाया कि सरपंच ने उनके मकान निर्माण के लिए मुरम भरने वाले लोगों को डरा धमका कर भगा दिया। उनके मकान के फाउंडेशन में मुरम भरने वाले श्रमिकों को बाबूलाल जाटव और उसके समर्थकों ने डराया और काम रोक दिया। इतना ही नहीं, सोरम् बाई का कहना है कि अगर उनके मकान की वजह से कोई भी जनहानि होती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी सरपंच बाबूलाल जाटव की होगी।

सरपंच का दबदबा:

सोरम् बाई ने बताया कि बाबूलाल जाटव ने न केवल उनके मकान निर्माण में बाधा डाली, बल्कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा भी कर रखा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरपंच ने माता जी की पहाड़ी पर लगभग 15 बीघा शासकीय गोचर भूमि पर कब्जा जमा लिया है, जबकि वह गरीबों को उनके छोटे से घर बनाने से रोक रहा है।

पत्रकार पर हमला:

सोरम् बाई के अनुसार, जब इस अत्याचार की खबर दिखाने का प्रयास किया गया, तो सरपंच ने पत्रकार विशाल आवले पर भी जानलेवा हमला किया। यह घटना 24 जुलाई 2024 की है, जब पत्रकार ने सरपंच के गलत कामों को उजागर करने की कोशिश की थी।

**सरपंच का पक्ष:**
जब पत्रकार द्वारा सरपंच बाबूलाल जाटव से संपर्क किया गया, तो उन्होंने पहले फोन उठाकर कहा, “मैं पहले देखता हूं क्या मामला है,” लेकिन इसके बाद उन्होंने न तो कोई पक्ष रखा और न ही पत्रकार से बात की।

प्रशासन की चुप्पी:

इस पूरे मामले में प्रशासनिक अधिकारियों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। ग्रामीणों ने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी सरपंच बाबूलाल जाटव के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि किसी अन्य गरीब को इस तरह के अत्याचार का सामना न करना पड़े।

आवश्यक कार्रवाई:

अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर मामले में कब कार्रवाई करता है और सोरम् बाई एवं उनके परिवार को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाता है। यह घटना न केवल एक महिला के अधिकारों पर हमला है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है। क्या प्रशासन इस मामले में जागेगा और पीड़ित को न्याय दिलाएगा, या फिर यह मामला भी अनदेखा हो जाएगा?

सरपंच बाबूलाल जाटव के खिलाफ लगाए गए ये गंभीर आरोप शासन और प्रशासन के लिए एक परीक्षा हैं। अब वक्त आ गया है कि ऐसे दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं और पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द न्याय मिले।

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