विलुप्त होती सार्वजनिक ध्वजारोहण की प्रथा - YES NEWS

विलुप्त होती सार्वजनिक ध्वजारोहण की प्रथा

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विलुप्त होती सार्वजनिक ध्वजारोहण की प्रथा

व्यवस्था के अभाव में नहीं पहुंचे रहे लोग

विनय द्विवेदी ब्यौहारी – सदियों से चली आ रही परंपरा अब धीरे-धीरे विलुप्त होती नजर आ रही है जनपद पंचायत में ध्वजारोहण के पश्चात बालक हायर सेकंडरी के मैदान में सामूहिक रूप से जनपद पंचायत ब्यौहारी अध्यक्ष द्वारा ध्वजा रोहण किया जाता है तत्पश्चात सभी विद्यालय अपनी उपस्थिति सामूहिक रूप से देकर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाता रहा वही अब धीरे धीरे प्राइवेट स्कूलों का आगमन बंद हो गया है वर्तमान में इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर चार विद्यालयो ने ही अपनी भागीदारी दी है जिसमें दो शासकीय विद्यालय भी शामिल है।

समय के साथ बदलाव

यह सच है कि पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों और ध्वजारोहण की प्रथा में समय के साथ बदलाव आया है। शहडोल जिले के ब्यौहारी में यह परंपरा सदियों से चली आ रही थी, लेकिन अब इसमें कमी देखी जा रही है। स्कूलों का सक्रिय रूप से भागीदारी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन राष्ट्रध्वज के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण रहा है।

क्यों रही साउंड की चर्चा

पूरे गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में साउंड सर्विस की चर्चा अंत तक रही लगाया गया साउंड व्यवधान पर व्यवधान करता रहा पर इस पर आम जन की प्रतिक्रिया तीखी मिल रही थी सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दे रही विद्यालय की छात्राएं तेज धूप में साउंड के इंतजार में खड़ी रही परन्तु साउंड दम तोड़ता ही रहा था और सर्विस नहीं दे पा रहा है।

युवाओं की बदलती प्राथमिकताएँ

यह बदलाव विभिन्न कारणों से हो सकता है, जैसे आधुनिक जीवनशैली, डिजिटल मनोरंजन, और युवाओं की बदलती प्राथमिकताएँ। साथ ही, शायद इस परंपरा को लेकर लोगों की जागरूकता और रुचि कम हो रही है। ऐसे में यह आवश्यक है कि हम इस तरह की परंपराओं को संरक्षित रखने के लिए प्रयास करें, ताकि आने वाली पीढ़ी भी इन्हें समझ सके और सम्मानित कर सके।

इन स्कूलों ने दी प्रस्तुति

सामूहिक रूप से गणतंत्र दिवस में सांस्कृतिक कार्यक्रम में शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय, पीएमश्री शासकीय कन्या हायर सेकंडरी स्कूल, सुंदीबाई केशसरवानी विद्यालय, सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय द्वारा कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई।

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