डाबर इंडिया के डायरेक्टर ने मुरैना के बीहड़ क्षेत्र में गुग्गल के लिए अनुकूल मिट्टी और मौसम की सराहना कीमुरैना - YES NEWS

डाबर इंडिया के डायरेक्टर ने मुरैना के बीहड़ क्षेत्र में गुग्गल के लिए अनुकूल मिट्टी और मौसम की सराहना की

मुरैना

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, 19 जनवरी 2025:

डाबर इंडिया कंपनी के वरिष्ठ निदेशक डॉ. पंकज रतूड़ी ने मुरैना जिले के बीहड़ क्षेत्र की मिट्टी और मौसम को गुग्गल जैसे औषधीय पौधों के लिए अत्यधिक उपयुक्त बताया। उन्होंने कहा कि यहां की मिट्टी में विशेष गुण होते हैं जो गुग्गल के पौधों के लिए उपयुक्त हैं, और इसका सही तरीके से संवर्धन करने से न केवल स्थानीय लोगों को लाभ होगा, बल्कि देशभर में भी इसका महत्व बढ़ेगा।

डॉ. पंकज रतूड़ी के साथ डॉ. अवी फुर्सले, प्रधान वैज्ञानिक, डाबर इंडिया, डॉ. संदीप सिंह तोमर, आंचलिक कृषि अनुसंधान मुरैना, और श्री जाकिर हुसैन, सुजागृति संस्था से जुड़े सदस्य भी मौजूद थे। इन सभी ने मिलकर मुरैना जिले के विभिन्न गांवों में गुग्गल और अन्य औषधीय पौधों के संरक्षण एवं संवर्धन की संभावनाओं का आकलन किया।

उन्होंने बताया कि मुरैना में गुग्गल की प्रजाति की भरपूर उपस्थिति है, लेकिन अभी तक इसका सही उपयोग नहीं हो पाया है। यदि इसे सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यह न केवल एक मूल्यवान औषधीय संसाधन बनेगा, बल्कि स्थानीय किसानों की आय में भी इजाफा होगा। इसके अलावा, डाबर कंपनी को शुद्ध और जैविक कच्चा माल भी प्राप्त होगा, जो उनकी उत्पादन प्रक्रिया को और भी गुणवत्ता प्रदान करेगा।

डॉ. रतूड़ी और उनके सहयोगियों ने तीन प्रमुख गांवों का दौरा किया – ऐसाह, रामरतन का पुरा और पिपरई। इन गांवों में भ्रमण के दौरान उन्होंने पाया कि इन क्षेत्रों के वातावरण में गुग्गल के पौधे अच्छी तरह से बढ़ सकते हैं। खासतौर पर, ऐसाह के बीहड़ क्षेत्र में, जहां एक मगरमच्छ भी पाया गया था, वहां की मिट्टी और जलवायु गुग्गल के लिए बेहद अनुकूल प्रतीत हुई।

रामरतन का पुरा में 100,000 गुग्गल पौधों की नर्सरी तैयार की जा रही है, और पिपरई में गुग्गल का पौधरोपण किया गया है। इन पौधों को देखकर यह स्पष्ट हुआ कि यहां के पर्यावरण में पौधे तेजी से पनप रहे हैं और उनकी वृद्धि भी शानदार हो रही है।

डॉ. रतूड़ी ने यह भी कहा कि गुग्गल की असली कीमत और इसका औषधीय गुण ही इसके विनाश का कारण बन रहे हैं। उच्च कीमत के कारण, लोग इसे गलत तरीके से चीरा लगाकर एक साथ निकालने की कोशिश करते हैं, जिससे पौधों का नुकसान होता है। इसके समाधान के लिए किसानों को उचित प्रशिक्षण की आवश्यकता है ताकि वे गुग्गल की सही कटाई और देखभाल कर सकें।

सुजागृती समाज सेवी संस्था मुरैना द्वारा ऐसाह में किए गए गुग्गल प्लांटेशन और रामरतन का पुरा में नर्सरी की स्थापना को भी सराहा गया।

अंत में, डॉ. रतूड़ी ने यह सुझाव दिया कि चंबल अंचल को गुग्गल से भरपूर करके यहां के निवासियों की समृद्धि में योगदान किया जा सकता है। यदि शासन, प्रशासन, और स्थानीय समुदाय मिलकर इस दिशा में काम करें, तो यह न केवल मुरैना जिले, बल्कि पूरे प्रदेश और देश के लिए भी एक लाभकारी कदम साबित होगा।

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