मुरैना। (19 जानवरी 2025)
– सत्याग्रह और जेल भरो आंदोलन की राह पर, 21 जनवरी को होगा ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन: शक्कर कारखाना चलाओ संघर्ष समिति का ऐलान
– सर्दी की रात में संघर्ष का संकल्प, 21 जनवरी को होगा सत्याग्रह और जेल भरो आंदोलन
19 जनवरी को धरने का दूसरा दिन मुरैना जिले में एक नई राजनीतिक हलचल का कारण बना, जब विधायक पंकज उपाध्याय ने अपने साथी नेताओं के साथ कड़कडाती ठंड में 7 डिग्री तापमान में रात धरना स्थल पर ही बिताई। इस दौरान पंकज उपाध्याय ने स्पष्ट किया कि शक्कर कारखाना चलाने के लिए सरकार और प्रशासन से बार-बार की गई अपीलों का कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद शक्कर कारखाना चलाओ संघर्ष समिति ने 21 जनवरी को सत्याग्रह और जेल भरो आंदोलन का आह्वान किया है, जिसमें जिलेभर से किसान और युवा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे।
विधायक पंकज उपाध्याय ने सभा को संबोधित करते हुए बताया कि कैलारस स्थित मुरैना मंडल सहकारी शक्कर कारखाने की स्थापना 1965 में हुई थी और 1971-72 में इस कारखाने ने अपना पहला पिराई सीजन शुरू किया था। यह कारखाना सहकारी क्षेत्र में किसानों द्वारा जुटाई गई पूंजी से स्थापित हुआ, जिसमें भिंड, श्योपुर और आसपास के किसानों ने अपनी जमीनें और संपत्ति का हिस्सा डालकर इसे स्थापित किया। कारखाने से सीधे 20 हजार किसान परिवार और 1500 श्रमिकों के परिवारों को रोजगार मिला और क्षेत्र का समग्र विकास हुआ।
लेकिन, 2008 में कुप्रबंधन और जन विरोधी नीतियों के कारण कारखाना अस्थायी रूप से बंद हो गया। इसके बाद से यह कारखाना लगातार समस्याओं का सामना कर रहा है। सरकार की उपेक्षापूर्ण नीतियों के कारण कारखाने में कर्मचारियों और किसानों का लगभग 40 करोड़ रुपए का बकाया है, जो आज तक नहीं चुकाया गया है। वहीं, कारखाने को फिर से चलाने का प्रयास कई बार किया गया, लेकिन हर बार किसी न किसी कारण से यह प्रयास नाकाम रहा।
पूर्व विधायक एवं कांग्रेस से लोकसभा प्रत्याशी रहे सत्यपाल सिकरवार ने आरोप लगाया कि जब 2008 में कारखाना बंद हुआ, तब सहकारी समिति के चुनावों में सत्ता के दुरुपयोग से एक असंवैधानिक संचालक मंडल का गठन किया गया, जो कारखाने को नहीं चला सका। इसके बाद 2010-11 में कारखाने को फिर से शुरू करने की कोशिश की गई, लेकिन वह भी नाकाम रही और कारखाना स्थायी रूप से बंद कर दिया गया।
कैलारस के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अशोक तिवारी ने बताया कि वर्तमान में यह कारखाना जर्जर स्थिति में है और उसकी मशीनरी को स्क्रैप बताकर सरकारी बोली पर बेचा जाने का प्रयास किया गया था, लेकिन जनता के दबाव के कारण उस बोली को स्थगित कर दिया गया। अब, सरकार हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देकर कारखाने के पास स्थित कृषि फार्म की जमीन को बेचने का प्रयास कर रही है, जिससे किसानों और स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी है।
इस संघर्ष को और तेज करते हुए शक्कर कारखाना चलाओ संघर्ष समिति, मध्य प्रदेश किसान सभा और अन्य संगठन लगातार आंदोलन कर रहे हैं। 21 जनवरी को लिलैर के पुरा स्थित कृषि फार्म की जमीन को बेचने के खिलाफ और कारखाने को फिर से चालू करने, कर्मचारियों का बकाया भुगतान करने, तथा क्षेत्र की समस्याओं को हल करने के लिए जेल भरो आंदोलन किया जाएगा।
मध्य प्रदेश के कम्युनिस्ट पार्टी के नेता गयाराम धाकड़ ने भी इस आंदोलन में भागीदारी की घोषणा की है। इसके अलावा, पूर्व विधायक महेंद्र मिश्रा और कांग्रेस के जिला अध्यक्ष दीपक शर्मा ने भी आंदोलन को समर्थन देने की बात कही है। यह आंदोलन न केवल कारखाने के पुनः संचालन की दिशा में है, बल्कि यह किसानों और कर्मचारियों के बकाया भुगतान के लिए भी है, ताकि क्षेत्र में बेरोजगारी और विकास की समस्याओं का समाधान हो सके।
समिति का दावा है कि सरकार द्वारा कारखाने को फिर से चलाने का ऐलान किया गया है, लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही, जिससे स्थानीय लोग और आंदोलनकारी वर्ग चिंतित हैं। 21 जनवरी के आंदोलन में जिलेभर से हजारों लोग अपनी गिरफ्तारी देंगे, जो कि इस संघर्ष की निर्णायक घड़ी साबित हो सकता है।
इस आंदोलन में मुख्य रूप से विधायक पंकज उपाध्याय, अशोक तिवारी, गयाराम धाकड़, दिनेश मित्तल, सुभाष सिंह सिकरवार, और कई अन्य नेता और कार्यकर्ता शामिल होंगे, जो कारखाने को फिर से चालू कराने, किसानों और कर्मचारियों का बकाया भुगतान करने की मांग करेंगे।