लोकेशन: उमरिया जिला
रिपोर्ट: राजर्षि मिश्रा
उमरिया जिले के कशेरू गांव में शिक्षा का माहौल खतरे में है! यह गांव बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के घने जंगलों के करीब स्थित है, जहां बाघों का मूवमेंट आम बात है। इसी संवेदनशील इलाके में बच्चों के लिए प्राथमिक शाला पिछले दस वर्षों से कच्चे मकान में चल रही है। यह स्थिति न केवल बच्चों की जान के लिए खतरनाक है, बल्कि उनके भविष्य के लिए भी एक बड़ा खतरा है।
कच्चे मकान में शिक्षा का संघर्ष:
गांव के एक कच्चे मकान में बच्चों की पढ़ाई हो रही है, जहां बारिश के मौसम में छत से पानी टपकता है और सर्दी के दिनों में बच्चों को खुले में बैठने की मजबूरी होती है। इन बच्चों के लिए पढ़ाई करना किसी संघर्ष से कम नहीं है। “हम लोग कच्चे मकान में पढ़ते हैं, ठंडी-ठंडी हवा चलती है तो हम आंगन में बैठ जाते हैं और जब बारिश होती है, तो पानी टपकता है,” बच्चों ने अपनी स्थिति का खुलासा किया।
सुरक्षा का संकट:
इस प्राथमिक शाला का सबसे बड़ा खतरा यह है कि यह बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के नजदीक है, जहां बाघ जैसे खतरनाक जानवर अक्सर घूमते रहते हैं। इलाके में बाघों के मूवमेंट के कारण किसानों के खेतों में अक्सर हमले होते रहते हैं, और बच्चों के लिए तो यह खतरा और भी बढ़ जाता है। इस गंभीर स्थिति में बच्चों का जीवन हर पल संकट में है।
सरकारी नाकामी पर सवाल:
यह तस्वीर दर्शाती है कि प्रशासन ने इस संवेदनशील क्षेत्र में बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के लिए क्या कदम उठाए हैं। शिक्षा के अधिकार को लेकर सरकारें बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन कशेरू गांव की यह स्थिति कागजी दावों और जमीनी हकीकत के बीच की खाई को खोल रही है। दस वर्षों से एक सुरक्षित स्कूल भवन का निर्माण न होना और बच्चों को ऐसी खतरनाक परिस्थितियों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए छोड़ देना गंभीर प्रशासनिक लापरवाही है।
प्रशासन से सख्त कदम की आवश्यकता:
कशेरू गांव की इस प्राथमिक शाला में बच्चों को एक सुरक्षित और सुविधायुक्त भवन की आवश्यकता है। प्रशासन को तत्काल इस पर ध्यान देना चाहिए और इस क्षेत्र में बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए उचित कदम उठाने चाहिए। केवल कागजी घोषणाओं से काम नहीं चलेगा, यह समय है सख्त कदम उठाने का!