राजगढ़ (बनवारी कटारिया) –
प्रदेश के राजगढ़ जिले के खजनेर तहसील अंतर्गत ग्राम देवली चारण में एक दलित परिवार का आशियाना प्रशासन के बुलडोजर के शिकार हो गया। यह घटना तब घटी जब राजस्व विभाग ने बिना कोई नोटिस जारी किए और बिना किसी पूर्व सूचना के एक दलित के घर को तोड़ दिया। यह घर लगभग 15 सालों से शासकीय भूमि पर बने हुए थे, और इसमें रहने वाला परिवार कड़कती ठंड में खुले आकाश के नीचे आ गया।
गांव में अन्य कई घर भी शासकीय भूमि पर बने हुए हैं, लेकिन उनपर प्रशासन का ध्यान नहीं गया। दलित का घर तोड़े जाने के मामले में आरोप है कि राजनीतिक दबाव के कारण केवल दलित का घर तोड़ा गया जबकि अन्य अवैध कब्जों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। विशेष बात यह है कि सरकारी प्रक्रिया के तहत किसी अवैध कब्जे को हटाने से पहले नोटिस दिया जाता है, लेकिन इस परिवार को कोई भी नोटिस नहीं दिया गया।
इस कार्रवाई के विरोध में जिले की भीम आर्मी ने प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाई है और एसडीएम को दलितों की भूमि से कब्जा हटाने के लिए शिकायतें सौंपी हैं। भीम आर्मी का कहना है कि जिले में लगभग 80% दलितों की जमीनों पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है, और प्रशासन उस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। वहीं, दलितों के छोटे से घर को भी तोड़ने में प्रशासन की तत्परता स्पष्ट दिखती है।
यह घटना न केवल एक दलित परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा करती है कि प्रशासन किस तरह से अपनी नीतियों को लागू कर रहा है और क्या उसे समानता और न्याय की अवधारणा का पालन करना चाहिए।