पोरसा। पत्रकार विनय मेहरा की कलम से..!
मुरैना जिले के पोरसा जनपद स्थित ग्राम किचौल में 4 जनवरी 2025 को एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक विशेष संगठन के बजाय बहुजन समाज के तत्वावधान में आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य महान समाज सुधारक माता सावित्री बाई फुले की जयंती के अवसर पर समाज को शिक्षा, सामाजिक समरसता और एकता के महत्व के बारे में जागरूक करना था।
बैठक का आयोजन दोपहर 12 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक हुआ, और इसमें ग्रामवासियों के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ता और नेता भी शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व सरपंच सुखवासी जी ने की, और इसमें बहन राधा सैनी, अशोक कुमार, मायाराम सखवार, बलवीर सिसोदिया, दसरथ सिंह, ए.के. रावण, महेश सिंह, जयश्रीराम जी, गजेन्द्र सिंह नेताजी, राजकुमार, संजय सिंह, अजय गहलोत, शक्ति कपूर, प्रदीप, करूं, अनिकेत सिंह, प्रशांत, शेर सिंह, राजकुमार, हरीमोहन, सत्येन्द्र, सौरभ सिंह, अजय सैनी सहित अन्य 50 से अधिक सदस्य और समस्त ग्रामवासी भी उपस्थित रहे।
बैठक में चर्चा के प्रमुख मुद्दे:
1. माता सावित्री बाई फुले के योगदान पर चर्चा: बैठक में सबसे पहले माता सावित्री बाई फुले के समाज में किए गए योगदान पर विस्तृत चर्चा की गई। विशेष रूप से महिला शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनके अद्वितीय कार्यों को याद किया गया। यह विचार रखा गया कि सावित्री बाई फुले ने महिलाओं के लिए शिक्षा का मार्ग खोला और समाज में समानता की दिशा में अभूतपूर्व संघर्ष किया। उनके आदर्शों पर चलकर हमें आज भी महिला शिक्षा को बढ़ावा देने और हर महिला को बराबरी का दर्जा देने के लिए काम करना चाहिए।
2. सामाजिक भाईचारा और समरसता: बैठक में सामाजिक भाईचारे, एकता और समरसता बनाए रखने पर जोर दिया गया। यह कहा गया कि अगर समाज में सभी वर्ग और समुदाय एकजुट होकर कार्य करें, तो ही हम एक समृद्ध और समरस समाज की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। समाज में भेदभाव और ऊँच-नीच की भावना को समाप्त करना और एकजुट होकर समता की ओर बढ़ना समय की आवश्यकता है।
3. सामाजिक कुरीतियों पर जागरूकता: बैठक में शराब, लड़ाई-झगड़े और अन्य सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता पर चर्चा की गई। यह निर्णय लिया गया कि इन सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए इन कुरीतियों का विरोध करना जरूरी है।
4. बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान: बैठक में बच्चों की शिक्षा पर भी विशेष ध्यान देने की बात की गई। यह महसूस किया गया कि बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ महापुरुषों के आदर्शों पर चलने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए, ताकि वे जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकें और एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकें।
5. समाज की बुराइयों को खत्म करने की प्रतिबद्धता: बैठक में यह संकल्प लिया गया कि समाज में व्याप्त बुराइयों को मिटाने के लिए सभी को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। इस उद्देश्य को लेकर कार्य योजना बनाई गई, जिसमें समाज की नकारात्मक प्रथाओं को समाप्त करने और अपने राष्ट्र की समृद्धि के लिए काम करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
बैठक में उपस्थित सभी वक्ताओं ने समान विचार व्यक्त किए और एक समृद्ध समाज की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए संकल्प लिया। यह बैठक न केवल माता सावित्री बाई फुले की जयंती के अवसर पर आयोजित की गई, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एक मजबूत मंच प्रदान करने वाली साबित हुई। समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर यह संकल्प लिया कि वे समाज की बुराइयों को समाप्त करने और एकजुट होकर शिक्षा और समरसता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम करेंगे।