"मुरैना में दबंगों का शासकीय भूमि पर कब्जा, दलित समाज के विरोध पर हुई मारपीट; ग्रामीणों ने एसडीएम से न्याय की अपील की" - YES NEWS

“मुरैना में दबंगों का शासकीय भूमि पर कब्जा, दलित समाज के विरोध पर हुई मारपीट; ग्रामीणों ने एसडीएम से न्याय की अपील की”

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मुरेना।

मुरैना में एक गंभीर घटना सामने आई है, जहां दबंगों ने शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया। यह भूमि जाटव समाज के लोगों की है, और जब भूमि के स्वामियों ने इस कब्जे का विरोध किया, तो दबंगों ने उन्हें न केवल धमकाया बल्कि मारपीट भी की। इस घटना ने गांव में तनाव की स्थिति उत्पन्न कर दी और न केवल पीड़ित परिवार, बल्कि पूरा गांव एकजुट हो गया।

दबंगों ने शुरू किया निर्माण कार्य, विरोध पर मारपीट

8 नवंबर 2024 को मुरैना गांव में एक निंदनीय घटना घटी। सुरेश किरार, राजकुमार किरार, लोकेंद्र किरार और रणवीर किरार नामक व्यक्तियों ने शासकीय जमीन पर कब्जा कर लिया और उस पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया। इस शासकीय भूमि का सर्वे नंबर 998 और 998 / 2767 है, जिसे गलती से शासकीय रकवे में कम कर दिया गया। इसके अलावा, बगल में स्थित सर्वे नंबर 990 में भूमि का विस्तार कर दिया गया।

जब दलित समाज के लोग, जिनमें श्रीकांत जाटव, रोहित जाटव, विजयपाल जाटव और विवेक जाटव शामिल थे, ने इस अवैध कब्जे का विरोध किया, तो दबंगों ने उनका विरोध सहन नहीं किया और उन्हें बेरहमी से पीट दिया। यह मारपीट इतनी गंभीर थी कि गांव के लोग गुस्से में आ गए और एकजुट होकर सशक्त विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया।



गांववासियों का प्रदर्शन, एसडीएम को ज्ञापन सौंपा

गांव के लगभग 200 से अधिक लोग, जो इस घटना से आहत थे, शासकीय गेस्ट हाउस से निकलकर न्यू कलेक्ट्रेट पहुंचे और जमकर नारेबाजी की। उन्होंने शासकीय भूमि पर कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की और एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों का कहना था कि पहले तो भूमि का सही सीमांकन किया जाए, फिर अवैध निर्माण को चिन्हित करके उसे तोड़ा जाए।

गांववासियों का यह प्रदर्शन लगातार बढ़ता रहा, और उन्होंने प्रशासन से न्याय की उम्मीद जताई। इस दौरान, एसडीएम मौके पर पहुंचे और उन्होंने ज्ञापन लिया, साथ ही यह आश्वासन दिया कि मामले की गंभीरता को समझते हुए कार्रवाई की जाएगी।

कानूनी कार्रवाई की उम्मीद

ग्रामीणों की इस सामूहिक मांग ने प्रशासन को सक्रिय किया और अब इस मामले में एसडीएम ने उचित कार्रवाई करने का वादा किया है। स्थानीय दलित समाज के लोग इस घटना के खिलाफ पूरी तरह से लामबंद हैं, और उनका कहना है कि अगर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो उनका संघर्ष जारी रहेगा।

ग्रामीणों का यह आंदोलन अब केवल एक भूमि विवाद नहीं रह गया है, बल्कि यह एक सामूहिक संघर्ष बन गया है, जिसमें समाज के सबसे कमजोर वर्ग को न्याय दिलाने के लिए कड़ा संघर्ष किया जा रहा है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी जल्दी और प्रभावी कार्रवाई करता है, ताकि शासकीय भूमि पर दबंगों का अवैध कब्जा समाप्त किया जा सके और पीड़ितों को न्याय मिल सके।

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