बेरमा: सेकंड चांस प्रोग्राम के तहत बेटियों के साथ की हरियाली की पहल - YES NEWS

बेरमा: सेकंड चांस प्रोग्राम के तहत बेटियों के साथ की हरियाली की पहल

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“वृक्ष लगाओ, जीवन बचाओ”: समाजसेवी अशोक साहू ने छात्राओं संग किया वृक्षारोपण

मैंहर, बेरमा: (अनिल कुशवाहा कि रिपोर्ट)

समाजसेवी अशोक साहू ने ग्राम बेरमा में वृक्षारोपण की एक अद्भुत मिसाल पेश की। इस पहल में सेकंड चांस प्रोग्राम के अंतर्गत माध्यमिक शिक्षा से वंचित बालिकाओं और महिलाओं को भी शामिल किया गया, जो इस कार्यक्रम का हिस्सा हैं। इस अवसर पर अशोक साहू ने अपनी पत्नी रानी साहू और अन्य समाजसेवियों के साथ लगभग 40 छात्राओं के सहयोग से विभिन्न प्रकार के पौधे रोपकर गांव में हरियाली का संदेश दिया।

सेकंड चांस प्रोग्राम के अंतर्गत मिली नई दिशा:

सेकंड चांस प्रोग्राम एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा संचालित है, जो उन बालिकाओं और महिलाओं को शिक्षा का दूसरा अवसर प्रदान करता है, जो किसी कारणवश शिक्षा से वंचित रह गई थीं। इस कार्यक्रम के माध्यम से न केवल शिक्षा दी जा रही है बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय पहलुओं पर भी उन्हें जागरूक किया जा रहा है। इसी क्रम में ग्राम बेरमा में वृक्षारोपण का आयोजन किया गया, जिसमें रोशनी बनोटे, सारिका साहू और स्वाति जैसी जागरूक महिलाओं ने सक्रिय भागीदारी निभाई।

वृक्षारोपण का महत्व और जिलाधीश की भूमिका:

अशोक साहू ने वृक्षारोपण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “वृक्ष लगाना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। ये न केवल पर्यावरण को स्वच्छ रखते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करते हैं।” वहीं मैंहर कलेक्टर रानी बाटड़ ने भी वृक्षारोपण को लेकर जिले में एक मुहिम चला रखी है, जिसके तहत लाखों वृक्ष लगाए गए हैं। इसी क्रम में बेरमा में भी यह मुहिम आगे बढ़ी और समाजसेवी अशोक साहू के नेतृत्व में यह कार्य संपन्न हुआ।

छात्राओं ने दिखाया उत्साह:

इस वृक्षारोपण अभियान में बेरमा क्लस्टर के लगभग 40 छात्राओं ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। उन्होंने न केवल पौधारोपण किया बल्कि इसके संरक्षण और देखभाल का भी संकल्प लिया। समाज में पर्यावरणीय जागरूकता फैलाने के इस प्रयास को गांववासियों ने भी सराहा और अन्य लोगों को भी इससे प्रेरणा लेने का आग्रह किया।

समाजसेवी अशोक साहू और सेकंड चांस प्रोग्राम के इस वृक्षारोपण अभियान को समाज के सभी वर्गों से प्रशंसा मिली है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण का प्रयास है, बल्कि शिक्षा से वंचित बालिकाओं और महिलाओं को समाज के प्रति जागरूक करने की भी एक कोशिश है।

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