पूजा मालवीय
देश की शान है बेटियां
एक पिता का अभिमान है बिटिया
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी पढ़ गई पर बची नहीं
अब कहा सुरक्षित हैं बेटियां
इक सवाल मन को काट रहा हैं
कभी शिकार हुई रेप और हवस की तो
कभी शिकार हुई अन्याय शोषण की तो
कभी शिकार हुई घरेलू हिंसा की वो बिटिया
ये जो दुष्कर्म,बलात्कार,शोषण की घटनाएं होती रहती हैं
फिर क्यूं इनकी ऐसी दुर्दशा पर सरकार सोती रहती हैं,,
क्या देश की मासूम बेटियों की इस हालत के लिए
हमने आजादी पाई थी ?????
क्या देश को गर्त में धकेलने के लिए वीरों ने गोली खाई थी???
क्या ऐसा होने से विकसित देशों की गिनती में आयेंगे??
क्या ऐसा होने से हम सुखी.समृद्ध .सुरक्षित राज्य (देश) कहलाएंगे??
क्या न्याय की गति धीमी कर देने से देश को उत्तम बनायेंगे,
क्या ऐसा होने से आजादी के अमृत उत्सव का मान हों पाएंगा??
अरे थोड़ी तो शर्म करो हेवानो……
बुद्धा,राम,कबीर,रहीम,अंबेडकर,फूले,पेरियर,कलाम,
ऐसे महापुरुषों की तपस्या को मत बेकार करो,
विश्वगुरु की इस धरती पर नारी के भाग्य को अबला मत करो,
इस देश में नारी की पूजा की जाती हैं इसको तुम ऐसे मत बदनाम करो,
वीरांगना रानी,देवी, ने इस माटी को अपने खून से सींचा हैं
तुम वीरों की कुर्बानी को मत बेकार करो,
प्रशासन की मेहनत को मत तार-तार करो,
न्याय व्यवस्था के नियमों को मत उलंघना करो,
जिस माटी का नमक खाया उस मां को मत शर्मशार करो,
अब इन हालातों पर भारत मां भी रोती हैं
जब देखती अपने ही देश”अपनी माटी पर बेटी को
नोचते,चीखते,बिलखते,जलते,मदद की भीख मांगते हुए
जब आज़ादी की देवी भी शर्मशार हो जाती हैं!!!!