केंद्रीय विद्यालय उमरिया सवालों के घेरे में पहले से अभी तक आखिर क्यों है छात्र परेशान देखिए रिपोर्टडीएफओ के नवीन सरकारी आवास के सामने वन विभाग ने रखा लकड़ी का डुंढा,छात्र परेशानउमरिया – शिक्षकों की कमी से परेशान केंद्रीय विद्यालय में अध्ययनरत छात्रों को बरसात में काफी परेशानी हो रही है,एक तरफ क्लास रूम में शीट की छत से पानी टपक रहा है,वही दूसरी तरफ केंद्रीय विद्यालय के मार्ग पर कीचड़ और गड्ढों से उबड़ खाबड़ मार्ग छात्रों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है।यह हाल महज बरसात में ही नही है,बल्कि गर्मी और ठंडी में ये क्लासेस मौसम के अनुकूल और ज्यादा परेशान करते है।इन समस्याओं से दो-चार होते छात्रों को एक और बड़ी परेशानी आफत बनकर सामने आ गई है।वन विभाग कालोनी से सटे भूभाग में संचालित केंद्रीय विद्यालय में वन विभाग ने बेहद असंवेदनशील फैसला लेते हुए कच्चे मार्ग पर लकड़ी का बड़ा डुंडा लगाकर मार्ग को बाधित कर दिया है,जिससे छात्र और उनके परिजनों को एक और परेशानी का इजाफा हुआ है।आपको बता दे उक्त मार्ग वर्ष 1955 के पूर्व से ही आवागमन में शुमार रहा है,इस मार्ग से अध्ययनरत छात्रों के अलावा श्रद्धालु-गण पूजा अर्चना करने मां शाकम्भरी देवी मंदिर एवम साग्रेश्वर धाम मंदिर भी जाते है,मार्ग में डीएफओ आवास बनने के बाद वन विभाग ने इस मार्ग में लकड़ी का बड़ा डुंडा रखकर मार्ग को अवरुद्ध करने का प्रयास किया है,जो दुर्भाग्यपूर्ण है,जबकि छात्रों के भविष्य और छात्र हित के दृष्टिगत वन विभाग को मार्ग को और बेहतर बनाने की ज़रूरत थी।वर्ष 1955 से संचालित राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण संस्थान कार्यालय के आंशिक भाग को तत्कालीन कलेक्टर ने केंद्रीय विद्यालय को हस्तांतरित किया था,और उस भवन प्रांगड़ को विद्यालय के अनुरूप बनाया था,परन्तु समय रहते विद्यालय भवन जर्जर हो रहे।बरसात के पानी से विद्यालय प्रांगड़ लबरेज है,इसके अलावा अधिकांश क्लासेस में पानी टपक रहा,जीव जंतु भी विद्यालय प्रांगड़ में देखे जा सकते है, नतीजतन छात्रों को काफी परेशानी हो रही है,वही बरसात में छात्रों के भीगने और ड्रेसेस भी खराब हो रहे है,जो उनके शैक्षिक गुणवत्ता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रहे है।शिक्षा के मंदिर के प्रति जिले में असंवेदनशीलता के कई प्रमाण मिल सकते है,केंद्रीय विद्यालय के अलावा भी जिले के कई शासकीय विद्यालय जीर्ण शीर्ण हालत में है,यहाँ भी छात्र समस्याओं से दो चार होते हुए अध्ययन करने मजबूर है।शिक्षा के प्रति असंवेदनशीलता एवम बेहतर व्यवस्था न होने की वजह से छात्रों के रिजल्ट भी लगातार प्रभावित हो रहे है,इस वर्ष तो प्रदेश के सबसे निचले पायदान पर छात्रों के रिजल्ट आ गए है,जो एक प्रमाण स्वरूप है।शिक्षा के प्रति असंवेदनशीलता ही है कि केंद्रीय विद्यालय के नवीन भवन के लिए राशि स्वीकृत होने के बाद स्वीकृत भूमि को पुनः वन विभाग अपने कब्जे में ले लिया,अब डीएफओ के सरकारी आवास बनने के बाद मार्ग को ही अवरुद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है। बच्चों की बेहतर शिक्षा राष्ट्र और समाज को समृद्ध और शक्तिशाली बनाती है,देश के बेहतर भविष्य के लिए शिक्षा के प्रति छात्रों को प्रोत्साहित करने की ज़रूरत है,न कि उनके मार्गों को अवरुद्ध कर छात्रो को हतोत्साहित करने की।