देवास। (पवन परमार की रिपोर्ट )
सोनकच्छ विधानसभा क्षेत्र में विधायक डॉ. राजेश सोनकर ने एक महत्वपूर्ण हरियाली अभियान का आगाज किया है। इस अभियान के तहत 2 लाख 51 हजार पौधों को रोपित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस महाअभियान की शुरुआत जामली पंचायत के रलायती गांव में की गई, जहां विधायक सोनकर ने 1 हजार पौधों को मियावाकी विधि (जापानी पौधा रोपण विधि) से रोपित किया। इस विशेष विधि से पौधों की वृद्धि तेज होती है और उनका विकास भी बेहतर होता है। इस कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों, समाज के गणमान्य व्यक्तियों, महिला शक्ति और विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और पौधारोपण कार्य को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभाई।
विधायक सोनकर ने इस अवसर पर क्षेत्रवासियों से अपील की कि वे इस महाभियान में सक्रिय भागीदारी निभाएं और पौधारोपण को एक जन आंदोलन का रूप दें। उन्होंने कहा कि पौधारोपण की महत्वता आज के समय में हर व्यक्ति को समझनी चाहिए। प्रधानमंत्री द्वारा चलाए जा रहे ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि यह कार्य प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी और संवेदनशीलता को दर्शाता है। उन्होंने चेतावनी दी कि वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण पर गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं और इसके प्रति जागरूक होना अत्यंत आवश्यक है।
डॉ. सोनकर ने इस अभियान को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए ग्राम रलायती में श्मशान घाट के विकास की भी घोषणा की। उन्होंने वहां टीन शेड, बाउंड्री वॉल और पेवर्स ब्लॉक लगाने के लिए विशेष राशि की घोषणा की। यह कदम स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण होगा और श्मशान घाट के उपयोग को सुविधाजनक बनाएगा। इस घोषणा के बाद ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई और उन्होंने विधायक के प्रति अपनी आभार व्यक्त किया।
इस पौधारोपण कार्यक्रम में एसडीएम संदीप शिवा, तहसीलदार मनीष जैन, पूर्व मंडी अध्यक्ष पृथ्वीराज सिंह रजापुर, सोसायटी अध्यक्ष बहादुर सिंह पिलवानी, पूर्व मंडल अध्यक्ष तेज सिंह बघेल, लालाखेड़ी से सुखदेव सिंह, छायनमैना सोसायटी उपाध्यक्ष बल बहादुर सिंह, भेरुलाल अटारीया, आकाश जैन, भुपेंद्र गुप्ता, जयपालसिंह सेंधव सहित कई प्रमुख व्यक्ति और पंचायत के सरपंच, सचिव एवं ग्रामीण जन शामिल हुए।
इस आयोजन का उद्देश्य न केवल क्षेत्र की हरियाली बढ़ाना है बल्कि लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना भी है। पौधारोपण के इस महाभियान से क्षेत्र में हरी-भरी वनस्पति का आगमन होगा, जो कि स्थानीय जलवायु और पारिस्थितिकी को भी सुदृढ़ करेगा। इस प्रकार के अभियानों से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का भी अहसास होगा, जो कि सभी के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।