सिविल अस्पताल में चिकित्सकों और कर्मचारियों की मनमर्जी से परेशान मरीज - YES NEWS

सिविल अस्पताल में चिकित्सकों और कर्मचारियों की मनमर्जी से परेशान मरीज

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सीहोर।

**डॉक्टरों की लापरवाही और कर्मचारियों की अनदेखी: मरीजों की बढ़ती मुश्किलें**

आष्टा के सरकारी सिविल अस्पताल में चिकित्सकों और कर्मचारियों की मनमर्जी मरीजों के लिए लगातार समस्याएं पैदा कर रही है। ड्यूटी के समय डॉक्टरों की कुर्सी पर न मिलना, उनकी असहयोगिता और अभद्र व्यवहार ने आम लोगों को समय पर इलाज से वंचित कर दिया है। डॉक्टर और कर्मचारियों की लापरवाही से यह आशंका बढ़ रही है कि वे निजी अस्पतालों को लाभ पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। ओपीडी के नियत समय पर भी कई डॉक्टर कुर्सी पर नहीं होते, और अगर होते भी हैं तो अक्सर मोबाइल पर बातचीत या दोस्तों से गप्पे मारते हुए देखे जा सकते हैं।

**सरकारी अस्पताल में निजी प्रैक्टिस का बढ़ता चलन: जनता को मिल रही असुविधा**

इस लापरवाही का असर इतना बढ़ गया है कि मरीजों को अब निजी अस्पतालों की ओर जाना पड़ रहा है। रात्रिकालीन इमरजेंसी सेवाओं में भी एक डॉक्टर सुरा प्रेमी के रूप में ड्यूटी करते हुए नजर आते हैं, जिनके पास मरीजों की सही देखभाल का ध्यान नहीं रहता। पंजीयन काउंटर पर भी समस्याएं कम नहीं हैं; कर्मचारी अक्सर अनुपस्थित रहते हैं या पर्ची बनाने में आनाकानी करते हैं।

सिविल अस्पताल के तीन काउंटरों में से दो अक्सर बंद रहते हैं और तीसरे काउंटर पर भी मरीजों से शुल्क लिए जाते हैं, जबकि इसे निःशुल्क बताया गया है। इमरजेंसी सेवाओं की स्थिति भी खराब है, और डॉक्टरों के अनुपस्थित होने के कारण मरीजों को निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है।

**विधायक के निर्देशों के बावजूद सुधार की उम्मीदें धूमिल**

विधायक ने कई बार सख्त निर्देश दिए हैं, लेकिन उनके निर्देशों का असर केवल एक-दो दिन तक ही रहता है। अस्पताल की स्थिति सुधारने के लिए विधायक को अपनी पैनी निगाह रखनी होगी। मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए सरकारी अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार की सख्त आवश्यकता है, अन्यथा यह स्थिति भाजपा की छवि को भी धूमिल कर सकती है।

सिविल अस्पताल में चल रही इन समस्याओं के कारण शहर के निजी अस्पताल और क्लीनिक फल-फूल रहे हैं, जबकि सरकारी अस्पताल की छवि लगातार गिरती जा रही है।

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