शानदार विदाई समारोह: श्रीकांत शर्मा को दी गई भावभीनी विदाई। - YES NEWS

शानदार विदाई समारोह: श्रीकांत शर्मा को दी गई भावभीनी विदाई।

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शहडोल।

चेतराम शर्मा की रिपोर्ट।

बरतरा, शहडोल, मध्य प्रदेश में शासकीय हाई स्कूल में प्राचार्य दीपक निगम के मार्गदर्शन में प्रधानाध्यापक श्रीकांत शर्मा का विदाई समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में पूर्व विधायक छोटेलाल सरावगी, वर्तमान विधायक जय सिंह मरावी, डाइट प्राचार्य रमाशंकर गौतम, और डाइट शिक्षक केदार मिश्रा ने शिरकत की।

_मां सरस्वती के पूजन-अर्चन से हुआ शुभारंभ_

कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के पूजन-अर्चन के साथ हुआ। गीता अनुरागी जी की पत्नी श्रीमती सुमन शर्मा ने मां सरस्वती की पूजा की। इसके बाद समस्त अतिथियों को मंचासीन किया गया और माल्यार्पण कर स्वागत किया गया।

_शिक्षकों और विद्यार्थियों ने दी भावभीनी विदाई_

शिक्षकीय दायित्व का निर्वहन करते हुए सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों ने शाल, श्रीफल, डायरी, और स्मृति चिन्ह भेंट कर श्री कांत शर्मा को भाव-विभोर होकर विदाई दी। उपस्थित जन कुछ क्षण भावुक हो गए।

_श्रीकांत शर्मा का सारगर्भित उद्बोधन_

श्रीकांत शर्मा ने अपने विदाई समारोह में सारगर्भित उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि आज मेरा शासन की सेवा का अंतिम दिवस है, मैं शिक्षक के पद का निर्वहन पूरे कार्य काल तक किया, मुझसे कार्य करते हुए यदि कहीं गलती हो गई हो तो क्षमा करना।

_आध्यात्मिक संस्कारों का महत्व_

श्रीकांत शर्मा ने आगे कहा कि आज हमारे इस कार्यक्रम में पूर्व राज्य मंत्री, वर्तमान में जैतपुर विधान सभा क्षेत्र के विधायक जय सिंह मरावी जी का पधारना हम सब के लिए गौरव की बात है, आप सब के प्रिय हैं। हमारे इस सामान्य जीवन से अध्यात्म के क्षेत्र में लाने के लिए इस क्षेत्र के धर्मानुरागी, पूर्व विधायक छोटेलाल सरावगी जी, जिनका मानव कल्याण आश्रम गीता धाम काटकोना में संरक्षण प्राप्त है। लोग कहते हैं मैं गीता के वक्ता हूं, मैं कहता हूं कर्म योग के पद पर चलना चाहिए, इस संकुल में कर्मयोगी प्राचार्य दीपक निगम हैं, जो हमारे शिक्षक साथी है, देवनारायण पाठक ,कामता प्रजापति इनका हमेशा सहयोग मिला है उनका मैं ऋणी हूं।

_संगीतमय कार्यक्रम की याद_

श्रीकांत शर्मा ने कहा कि जब मैं 2003 में बरतरा आया तब पहली बार श्रीमद् भगवत गीता का संगीतमय कार्यक्रम हनुमान जी की कृपा से विधिवत संपन्न हुआ । बरतरा से तीन संगीत प्रेमी बृजेंद्र , रामावतार साहू और सुरेश साहू के साथ मिलकर गीता के 18 अध्यायों को संगीतमय रूप में प्रस्तुत किया गया था। तब से लेकर आज तक मैंने गीता के संदेशों को फैलाने का प्रयास किया है। मैं अपने जीवन को सफल मानता हूँ कि मैंने अपने जीवन को गीता के संदेशों के अनुसार जिया है।

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