फाइल फोटो….!
मंडला से फिरदौस खान की रिपोर्ट।
प्रशासन की लापरवाही
मंडला जिले के घुघरी विकास खंड के ग्राम पंचायत बरवानी के पोषक गाँव चीतापखना में शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। जनसुनवाई मंडला में स्कूली बच्चों के साथ पहुंचे ग्रामवासियों ने अपनी समस्या अधिकारियों के सामने रखी। उन्होंने बताया कि शासकीय प्राथमिक शाला चीतापखना में दो शिक्षक (एक महिला और एक पुरुष) पदस्थ हैं, लेकिन उनका स्कूल से कोई सरोकार नहीं है।
### शिक्षकों की अनुपस्थिति
नए शिक्षा सत्र 2024-25 की शुरुआत 16 जून से हो चुकी है, लेकिन 30 जुलाई तक दोनों शिक्षकों की स्कूल में आमद नहीं हो पाई है। यह कोई नई बात नहीं है; जब से ये शिक्षक चीतापखना स्कूल में पदस्थ हैं, उनकी उपस्थिति केवल राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त और 26 जनवरी के अवसर पर ही देखी जाती है।
### अतिथि शिक्षक की व्यवस्था
स्कूल को चलाने के लिए एक अतिथि शिक्षक की व्यवस्था की जाती है, जो अकेला संपूर्ण कार्य देखता है। सरकारी शिक्षक घर बैठे वेतन का लाभ उठाते हैं। इस शिक्षा सत्र में अब तक अतिथि शिक्षक की भर्ती नहीं होने से स्कूल पूरी तरह बंद की स्थिति में है।
### बच्चों का भविष्य संकट में
गाँव के बच्चे स्कूल जाएं भी तो किसलिए? इस तरह की लापरवाही से बच्चों का भविष्य गर्त में जा रहा है। यह समस्या पहली बार नहीं है; हर साल ऐसी ही स्थिति रहती है। ग्रामीण हर साल किसी न किसी अधिकारी को इस बारे में जानकारी देते हैं, लेकिन समाधान निकालने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जाता।
### प्रशासनिक लापरवाही
शिक्षक और अधिकारियों के बीच का रिश्ता क्या है, यह तो वे ही जानते हैं, लेकिन इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। परेशान ग्रामवासी अपनी समस्या लेकर जनसुनवाई में पहुंचे और अधिकारियों से मिले आश्वासन से थोड़ी उम्मीद जगी है।
### निष्कर्ष
चीतापखना के बच्चों का भविष्य शिक्षा व्यवस्था की इस लापरवाही के कारण अंधकार में है। प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करें और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करें। जब तक ऐसा नहीं होता, बच्चों का भविष्य अधर में लटका रहेगा। ग्रामीणों की उम्मीदें अब अधिकारियों के आश्वासनों पर टिकी हैं, देखते हैं कि इस बार प्रशासन क्या कदम उठाता है।