कुम्हियां, 30 जुलाई 2024
शहडोल जिले के जनपद ब्योहारी अंतर्गत पंचायत कुम्हियां के सरपंच शैलेन्द्र मिश्रा ने सड़क पर रहने वाले निराश्रित गोवंशों को दुर्घटनाओं से बचाने के लिए हर ग्राम पंचायत में चरवाहों की भर्ती और गौशालाओं की स्थापना का आह्वान किया है। उनका मानना है कि यह कदम न केवल गोवंश की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा बल्कि गांवों में गोवंश संरक्षण और उपयोगिता के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगा।
व्यापक जन जागरूकता कार्यक्रम:
गोवंश की समस्याओं से निपटने के लिए सरपंच मिश्रा ने व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि लोगों को गायों के कृषि, दूध, गोबर और गोमूत्र के महत्व के बारे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाया जाए। इस जागरूकता अभियान में सामाजिक संगठनों और स्कूली विद्यार्थियों को शामिल किया जाए ताकि उनके घरवाले प्रेरित होकर पशुओं को अपने घर पर बांधकर रखें। मिश्रा ने यह भी सुझाव दिया कि गांव में होने वाले हर कार्यक्रम में गोवंश को बचाने की शपथ दिलाई जाए।
चरनोई की भूमि की पहचान और बाड़ा निर्माण:
गोवंश के लिए चरनोई की भूमि चिन्हित करने और वहां बाड़ा बनाने के महत्व को रेखांकित करते हुए सरपंच मिश्रा ने कहा कि गायों के चरने और पीने के लिए पानी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने ग्राम पंचायतों को पटवारी की सहायता से शासकीय भूमि चिन्हित करने की सलाह दी। इसके बाद, वहां बाड़ा बनाकर रात में गायों को सुरक्षित रखा जा सकेगा। निराश्रित गायों को चराने के लिए चरवाहों की भर्ती की जानी चाहिए और इन सब का खर्च 15वें वित्त की राशि या मनरेगा योजना से पूरा किया जाए।
आर्थिक और सामाजिक लाभ:
सरपंच मिश्रा ने बताया कि इस योजना से न केवल गोवंश की सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि गांवों में आर्थिक और सामाजिक लाभ भी मिलेगा। दूध, गोबर और गोमूत्र के उपयोग से किसानों की आय में वृद्धि होगी और पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, यह योजना ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित करेगी।
गोवंश की सुरक्षा और उनके उचित देखभाल के लिए सरपंच शैलेन्द्र मिश्रा के ये सुझाव गांवों की समृद्धि और स्थायित्व के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं। ग्राम पंचायतों को इन उपायों को अपनाकर गोवंश की सुरक्षा और संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।