अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस: भारत और मध्य प्रदेश में बाघों की स्थिति - YES NEWS

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस: भारत और मध्य प्रदेश में बाघों की स्थिति

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अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य बाघों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास को बचाना है। भारत, दुनिया के 70% बाघों का घर, इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हाल के वर्षों में भारत ने बाघों की संख्या बढ़ाने में उल्लेखनीय प्रगति की है।

### भारत में बाघों की स्थिति

2018 की बाघ जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग 2,967 बाघ थे, जो 2006 में 1,411 थे। यह वृद्धि भारत सरकार और कई गैर-सरकारी संगठनों के प्रयासों का परिणाम है। विशेष रूप से, बाघ संरक्षण परियोजनाओं और उनके प्राकृतिक आवास की सुरक्षा ने बाघों की संख्या में वृद्धि की है।

### मध्य प्रदेश: “टाइगर स्टेट” का गौरव

मध्य प्रदेश को “टाइगर स्टेट” कहा जाता है, जहां 2018 में 526 बाघ दर्ज किए गए थे। राज्य में कई प्रसिद्ध बाघ अभयारण्य हैं, जैसे कि कान्हा, बांधवगढ़, और पन्ना, जो बाघों के संरक्षण में अग्रणी हैं। इन अभयारण्यों में बाघों के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराया जाता है।

### चुनौतियाँ और उपाय

#### **आवास का नुकसान:**

बाघों के प्राकृतिक आवास का नुकसान एक बड़ी चिंता है। शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, और कृषि विस्तार के कारण जंगलों का क्षेत्र सिकुड़ रहा है। इसके लिए जंगलों का पुनर्विकास और वन्यजीव गलियारों का निर्माण आवश्यक है।

#### **शिकार और अवैध व्यापार:**

बाघों की खाल, हड्डियों, और अन्य अंगों की अवैध तस्करी भी बाघों के अस्तित्व को खतरे में डालती है। सख्त कानून और सीमा पार सहयोग से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।

#### **मानव-पशु संघर्ष:**

बाघों के मानव बस्तियों में आने के कारण संघर्ष बढ़ा है। इसके लिए जागरूकता अभियान और समुदायों के साथ सहयोग आवश्यक है, ताकि बाघ और मानव के बीच संघर्ष को कम किया जा सके।

### संरक्षण प्रयास और सफलता

मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। बाघ परियोजना और वन विभाग ने बाघों की निगरानी के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया है। कैमरा ट्रैपिंग, रेडियो कॉलर, और जीपीएस ट्रैकिंग जैसी तकनीकों ने बाघों के व्यवहार को समझने और उनके संरक्षण में मदद की है।

### जागरूकता और शिक्षा

बाघों के संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना आवश्यक है। स्कूलों और समुदायों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जो बाघों के महत्व और उनके संरक्षण की आवश्यकता को समझाते हैं।

### निष्कर्ष

बाघ संरक्षण न केवल जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को भी बनाए रखता है। भारत, विशेष रूप से मध्य प्रदेश, ने बाघों की संख्या बढ़ाने में सराहनीय प्रयास किए हैं। हालांकि, अभी भी चुनौतियाँ मौजूद हैं, जिन्हें सामूहिक प्रयास और मजबूत नीतियों के माध्यम से हल किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस हमें इस दिशा में हमारे प्रयासों को दोगुना करने की प्रेरणा देता है।

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