यस न्यूज ब्यूरो रिपोर्ट
जिले में अवैध ईंट भट्टों की भरमार
उमरिया जिले में दर्जनों अवैध ईंट भट्टों का संचालन हो रहा है। यह गतिविधि पर्यावरण पर गहरा असर डाल रही है, क्योंकि इन भट्टों के लिए बड़ी मात्रा में मिट्टी का उपयोग हो रहा है। कई स्थानों पर पेड़ों की कटाई भी की गई है, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ रहा है। प्रशासन की निष्क्रियता के कारण ये अवैध भट्टे खुलेआम संचालित हो रहे हैं।
खनिज विभाग की भूमिका पर सवाल
खनिज विभाग की ओर से इन अवैध भट्टों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। सवाल यह है कि क्या विभाग की जानकारी में यह गतिविधि चल रही है, या वे जानबूझकर इसे नजरअंदाज कर रहे हैं? यह विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है
पर्यावरणीय प्रभाव और प्रशासन की उदासीनता
ईंट भट्टों के संचालन से मिट्टी का कटाव हो रहा है और हरे-भरे जंगलों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। प्रशासन की ओर से पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है।
लाल ईंट भट्टों में कोयले और लकड़ी का उपयोग
अवैध भट्टों में लाल ईंट पकाने के लिए कोयला और लकड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे निकलने वाली जहरीली गैस पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक है। बड़ी मात्रा में कोयले की खपत होती है, जो अवैध खनन से प्राप्त किया जाता है।
अवैध कोयला खनन और प्रशासन की चुप्पी
SECL की बंद खदानों से अवैध कोयला खनन किया जा रहा है, जिसका उपयोग इन भट्टों में हो रहा है। जिला प्रशासन और खनिज विभाग इस पर मौन हैं, जिससे इन गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है। यह स्थिति विभाग की कार्यक्षमता और प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े करती है।
संभावित समाधान और कार्रवाई की जरूरत
प्रशासन को अवैध ईंट भट्टों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है। पर्यावरण संरक्षण के लिए फ्लाई ऐश से बनी ईंटों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, अवैध खनन पर भी रोक लगानी होगी ताकि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन रोका जा सके।
निष्कर्ष
अवैध ईंट भट्टों का संचालन जिले में एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रशासन और खनिज विभाग की निष्क्रियता से पर्यावरण और स्थानीय लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इसे रोकने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। प्रशासनिक सक्रियता और कठोर कानूनों के माध्यम से ही इस समस्या का समाधान संभव है।