"रीवा में कांग्रेस का प्रदर्शन: महिलाओं को जिंदा दफनाने के आरोप पर पुलिस का बल प्रयोग" - YES NEWS

“रीवा में कांग्रेस का प्रदर्शन: महिलाओं को जिंदा दफनाने के आरोप पर पुलिस का बल प्रयोग”

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रीवा।

महिलाओं को जिंदा दफनाने का आरोप:

रीवा में हाल ही में एक जमीन विवाद के चलते दो महिलाओं को जिंदा दफनाने की कोशिश के आरोप ने राजनीति में हलचल मचा दी है। इस मामले को लेकर कांग्रेस ने गंभीर चिंता व्यक्त की और जिले के कलेक्ट्रेट पर घेराव का फैसला किया। कांग्रेस ने इस घटना को लेकर सरकार और प्रशासन के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।

कलेक्ट्रेट पहुंचने से पहले रोका:

कांग्रेस कार्यकर्ता जैसे ही कलेक्ट्रेट की ओर बढ़े, उन्हें पुलिस ने रोक लिया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। पुलिस की इस कार्रवाई के बावजूद कांग्रेस कार्यकर्ता अपने उद्देश्य पर अड़े रहे और प्रदर्शन जारी रखा। पुलिस की कोशिशों के बावजूद प्रदर्शनकारियों की संख्या और उनके उत्साह में कमी नहीं आई।

हनुमान चौराहे पर पुतला दहन:

कलेक्ट्रेट तक न पहुंच पाने के बाद, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हनुमान चौराहे पर प्रदर्शन करने का फैसला किया। यहां उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव का पुतला जलाया और नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई जब पुलिस ने जलते हुए पुतले पर पानी डालने की कोशिश की। कांग्रेसियों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन को और तेज किया, जो सरकार की निष्क्रियता के खिलाफ था।

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प:

पुलिस द्वारा बल प्रयोग के चलते प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया और पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कठोर कदम उठाए। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहा और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर असंवेदनशील है। यह घटना स्थानीय राजनीति में भी उथल-पुथल का कारण बनी है और प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल उठाए हैं।

पत्रकार की प्रतिक्रिया:

रीवा में महिलाओं को जिंदा दफनाने के आरोप के बाद कांग्रेस का प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई ने इस मुद्दे को प्रमुखता दी है। कांग्रेस का आक्रोश और पुलिस का बल प्रयोग दर्शाता है कि स्थानीय प्रशासन और राजनीतिक दल इस गंभीर मामले को लेकर कितने गंभीर हैं। यह घटना न केवल प्रशासन की जिम्मेदारी को चुनौती देती है, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े करती है। देखना होगा कि प्रशासन इस मुद्दे पर कितनी तेजी से और प्रभावी कार्रवाई करता है और महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाता है।

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