डिंडोरी/ बजाग।
बारिश शुरू होते ही, जब रेत की खदानों पर शासकीय प्रतिबंध लागू किया गया था, तब भी रेत के अवैध कारोबार ने और भी तेजी पकड़ ली है। नर्मदा नदी सहित अन्य नदियों में रेत की चोरी धड़ल्ले से की जा रही है। गोरखपुर से रुसा तक की लगभग बीस किमी की सीमा में, नर्मदा नदी के घाट-घाट पर दिन-रात बड़े पैमाने पर रेत की निकासी हो रही है।
रेत का काला कारोबार:
रेत निकालने वाले बेखौफ होकर सैकड़ों ट्रैक्टर और अन्य वाहनों की मदद से नर्मदा नदी से रेत निकाल रहे हैं। इससे नदी का सीना छलनी हो रहा है और प्रदूषण बढ़ रहा है। बारिश के दौरान नदी के अंदर से रेत की खुदाई से जलीय जीवों के अस्तित्व को भी खतरा हो रहा है।
खनिज विभाग की लापरवाही:
खनिज विभाग इस स्थिति की ओर पूरी तरह से अनजान बना हुआ है। रेत के ठेकेदार और विभाग के अधिकारियों के बीच साठगांठ के चलते रेत चोरी करने वालों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। पूर्व ठेकेदार के गुर्गे अवैध वसूली कर वाहनों को पार करा रहे हैं। ग्राम पाटन में बनाए गए जांच नाके पर भी इसी साठगांठ के चलते अवैध वसूली की जा रही है।
स्थानीय नेता और माफिया का गठजोड़:
रुसा बंजर क्षेत्र में स्थानीय नेता और रेत माफिया मिलकर सरेआम नर्मदा नदी से रेत निकाल रहे हैं। रेत को सड़क किनारे डंप किया जाता है और फिर जेसीबी की मदद से डम्फरों में भरकर बाजार में बेचा जाता है।
विभाग की स्थिति:
खनिज विभाग की लापरवाही और साठगांठ के चलते प्रतिबंध के बावजूद रेत का अवैध उत्खनन जारी है। इस मुद्दे पर एसडीएम आर.पी. तिवारी ने कहा कि वे रेत की आपूर्ति की जांच करेंगे, लेकिन फिलहाल स्थिति में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है।
रेत का अवैध उत्खनन जारी है और इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। विभाग की लापरवाही और साठगांठ के चलते नर्मदा नदी और अन्य नदियों का भविष्य खतरे में है।