संभाग स्तरीय फाग प्रतियोगिता: निर्णायकों के लिए असमंजस, सभी टीमों को मिला समान पुरस्कार

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पोरसा: पत्रकार विनय की रिपोर्ट।

लोकसंस्कृति और परंपरा को संजोने के उद्देश्य से श्री नागाजी सरोवर परिक्रमा भक्त मंडल द्वारा संभाग स्तरीय फाग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में संभाग की सात टीमों ने भाग लिया और अपनी पारंपरिक प्रस्तुति से समां बांध दिया।

प्रतियोगिता के निर्णायक डॉ. सुरेंद्र सिंह तोमर, रणवीर सिंह तोमर, हरिओम गुप्ता और रामेश्वर दयाल राठौर थे, जिन्होंने सभी टीमों की प्रस्तुति का सूक्ष्मता से मूल्यांकन किया। प्रतियोगिता का स्तर इतना ऊंचा रहा कि लगातार 9 घंटे के विचार-विमर्श के बावजूद निर्णायक कोई एक विजेता घोषित नहीं कर सके। अंततः सभी टीमों को समान विजेता घोषित कर समान पुरस्कार प्रदान किए गए।


संस्कृति और परंपरा का जीवंत प्रदर्शन

फाग प्रतियोगिता का आयोजन नागाजी सरोवर परिसर के रंगमंच पर हुआ, जिसमें बजरंग कला मंडल पुरावस खुर्द, बजरंग कला मंडल खजूरी अंबा, सुरेश कला मंडल रजौधा, दुर्गा मंडल रमगढ़ा, भोला कला मंडल भजनपुरा, कमल सिंह मंडल धमसा गोहद, कला मंडल श्यामपुर खुर्द आदि टीमों ने अपने गायन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति

कार्यक्रम में नागाजी सरकार के महा मंडलेश्वर महंत राम लखन दास महाराज मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि अध्यक्षता शिवम कॉलेज के संचालक दिनेश शर्मा ने की। विशेष अतिथि के रूप में श्रीमती भानुमति राजेश सिंह बघेल (सरपंच रजौधा), रामराज सिंह भदौरिया (आबकारी ठेकेदार), राजकुमार सिंह फौजी, निशांत श्रीवास्तव, राजपाल सिंह तोमर, शेर सिंह तोमर, अशोक सिंह सिकरवार, हीरा सिंह तोमर, जसवीर सिंह तोमर (पप्पू), नरेंद्र सिंह तोमर, संत ब्रजकिशोर दास पागल बाबा, पूरन सिंह तोमर, डॉ. राधाचरण सिंह तोमर, राकेश ओझा समेत कई गणमान्य व्यक्तियों ने उपस्थिति दर्ज कराई।

निर्णय में उलझे निर्णायक

प्रतियोगिता का सबसे रोचक पहलू यह रहा कि फाग गायन की उत्कृष्टता के कारण निर्णायकों के लिए निर्णय लेना कठिन हो गया। हर टीम ने इतनी शानदार प्रस्तुति दी कि सभी को समान अंक प्राप्त हुए। इस स्थिति को देखते हुए निर्णायकों ने सर्वसम्मति से सभी सात टीमों को समान विजेता घोषित कर पुरस्कार प्रदान किए।

पारंपरिक व्यंजनों की विशेष व्यवस्था

फाग प्रतियोगिता में भाग लेने वाले कलाकारों और अतिथियों के लिए श्री नागाजी सरोवर परिक्रमा भक्त मंडल द्वारा पारंपरिक दही-बूड़ा और अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों की व्यवस्था की गई।

लोकगीतों की गूंज से सराबोर हुआ सरोवर परिसर

इस प्रतियोगिता में प्रस्तुत किए गए फाग गीतों ने दर्शकों को भक्ति और रंगोत्सव के रस में सराबोर कर दिया। कुछ प्रमुख फाग रचनाएं थीं:

“साधू शिव भोला भण्डारी,
भस्मासुर ने करी तपस्या,
बर पायौ त्रिपुरारी।
जाके शिर पै हाथ धरौ तुम,
भष्म होय तन सारी।”

“केशरिया देउ मंगाइ होरी खेलन कौं,
के किरिया केशरि भई होरी खेलन कौं।
कै मै भयौ गुलाल होरी खेलन कौं।”

संस्कृति संरक्षण की मिसाल

फाग प्रतियोगिता केवल एक प्रतियोगिता नहीं थी, बल्कि यह भारतीय लोकसंस्कृति और परंपरा को जीवंत बनाए रखने का एक सार्थक प्रयास था। सभी टीमों की उत्कृष्टता ने यह साबित किया कि संगीत, भक्ति और परंपरा प्रतिस्पर्धा से परे होते हैं। निर्णायकों का निर्णय भले ही अभूतपूर्व रहा हो, लेकिन इसने सभी कलाकारों के योगदान को समान रूप से सम्मानित कर एक नई मिसाल कायम की।

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