किसानों की हुंकार: समस्याओं के समाधान हेतु भारतीय किसान संघ ने सौंपा ज्ञापन

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पोरसा: पत्रकार विनय की कलम से।

भारतीय किसान संघ ने एक बार फिर किसानों की समस्याओं को लेकर अपनी आवाज़ बुलंद की है। मंगलवार को संघ के जिला अध्यक्ष रामपाल सिंह तोमर के नेतृत्व में किसानों का एक प्रतिनिधि मंडल तहसील कार्यालय पहुंचा और तहसीलदार नवीन भारद्वाज को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में किसानों की ज्वलंत समस्याओं को उजागर किया गया और उनके त्वरित समाधान की मांग की गई।

किसानों की प्रमुख मांगें

1. दूध में मिलावट पर रोक: किसानों ने प्रशासन से गुहार लगाई कि दूध में बढ़ती मिलावट को सख्ती से रोका जाए, ताकि उपभोक्ताओं को शुद्ध दूध मिल सके और किसानों का आर्थिक शोषण न हो।

2. फसल नुकसान का मुआवजा: 13 मार्च को आई तेज़ बारिश और आंधी से किसानों की गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने सरकार से अपील की कि किसानों को उचित मुआवजा प्रदान किया जाए, जिससे उनकी आर्थिक हानि की भरपाई हो सके।

3. आवारा पशुओं से मुक्ति: खुले में घूम रहे आवारा पशु किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं, जिससे उनकी मेहनत पर पानी फिर रहा है। किसानों ने प्रशासन से इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की मांग की।


प्रशासन तक पहुंचाई किसानों की पीड़ा

ज्ञापन सौंपने के दौरान भारतीय किसान संघ के कई वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें जिला अध्यक्ष रामपाल सिंह तोमर, जिला मंत्री रामनरेश सिंह तोमर, संभागीय उपाध्यक्ष मनवीर सिंह तोमर, युवा वाहिनी संभाग प्रमुख अशोक सिंह तोमर, संभागीय सदस्य रामसेवक सिंह तोमर, तहसील अध्यक्ष राजवीर सिंह तोमर भदौरिया, विश्वनाथ सिंह, राम प्रताप सिंह तोमर, कृष्ण सिंह तोमर और हितेंद्र सिंह प्रमुख रूप से शामिल थे।

किसानों की चेतावनी: जल्द समाधान नहीं तो होगा आंदोलन

किसानों ने प्रशासन को स्पष्ट संदेश दिया कि यदि उनकी मांगों को शीघ्र पूरा नहीं किया गया, तो वे उग्र आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे। किसान संघ के नेताओं ने कहा कि वे अपनी हक की लड़ाई के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं और जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, तब तक वे संघर्ष जारी रखेंगे।

अब प्रशासन की बारी

किसानों ने अपनी समस्याओं को प्रशासन तक पहुंचा दिया है, अब देखना यह होगा कि प्रशासन इन मांगों पर कितना और कितनी जल्दी अमल करता है। यदि समय रहते इन समस्याओं का हल नहीं निकला, तो यह विरोध एक बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है।

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