ऑनलाइन रिश्वत: ₹27,000 लेने के बाद भी पटवारी ने काम नहीं किया, प्रशासन नोटिस देकर भूला
बनवारी कटारिया/ राजगढ़

राजगढ़। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर “जीरो टॉलरेंस” नीति अपनाने का दावा किया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत नजर आ रही है। राजगढ़ जिले में ₹27,000 की रिश्वत लेने वाले पटवारी के खिलाफ नोटिस जारी हुए एक माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन की इस निष्क्रियता से सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं और जनता में रोष बढ़ता जा रहा है।
क्या है मामला?
ग्राम मुण्डला निवासी श्रीमती रेखा पति रामसिंह ने 11 फरवरी 2025 को जनसुनवाई में कलेक्टर से शिकायत की थी कि उनकी भूमि से जुड़े प्रकरण (क्रमांक 106/31-6-31/2016-17) में आदेश लागू करवाने के लिए पटवारी रमेश राठौर ने ₹27,000 की रिश्वत वसूली। शिकायत के अनुसार, पहले तत्कालीन पटवारी मोहन सिंह उमठ ने ₹9,000 लिए, लेकिन आदेश लागू नहीं किया। बाद में रमेश राठौर ने ₹17,000 नकद और ₹10,000 फोनपे यूपीआई ट्रांजेक्शन (UPI ID: 993064670@ibi, ट्रांजेक्शन ID: T2411261705427864934473) के माध्यम से रिश्वत ली।
जांच में आरोप सही पाए गए, जिसके बाद अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), राजगढ़ ने 11 फरवरी 2025 को पटवारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया और तीन दिन के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया। चेतावनी दी गई थी कि संतोषजनक जवाब न मिलने पर निलंबन की कार्रवाई की जाएगी।
अब तक कार्रवाई क्यों नहीं?
नोटिस जारी होने के बावजूद पटवारी के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। कहीं भ्रष्टाचार के इस मामले को दबाने की कोशिश तो नहीं हो रही? सवाल यह भी है कि यदि मामला किसी सामान्य कर्मचारी से जुड़ा होता, तो क्या प्रशासन इतनी ही उदासीनता दिखाता?
प्रशासन पर गंभीर सवाल
मध्यप्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित कार्रवाई के सख्त निर्देश दे रखे हैं, लेकिन इस प्रकरण में एक माह बीतने के बाद भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। इससे सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति पर भी सवाल उठ रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, पटवारी रमेश राठौर ने शिकायतकर्ता पर मानसिक दबाव बनाते हुए पुरानी तारीख में संबंधित भूमि का विक्रय अनुबंध करवा लिया और बाद में रजिस्ट्री करवा ली। यह भी चर्चा का विषय है कि क्या इस कृत्य में प्रशासन की कोई मिलीभगत थी?
इनका कहना हैं-
“पटवारी को नोटिस दिया गया था, लेकिन मैं अभी यह नहीं बता सकता कि आगे क्या कार्रवाई हुई। संभवतः पटवारी ने शपथ पत्र दिया था, लेकिन ऑफिस जाकर ही पूरी जानकारी दी जा सकेगी।”
रत्नेश श्रीवास्तव, एसडीएम (राजगढ़)