*पत्रकार पं. सौरभ द्विवेदी की रिपोर्ट*
**बघराजी:** प्रदेश भर में अमानक पॉलिथीन पर प्रतिबंध के बावजूद बघराजी नगर और उसके आसपास के गांवों में इसका धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। नगर के किराना स्टोर्स, होटलों, सब्जी विक्रेताओं और फलों के ठेले वालों द्वारा 40 माइक्रोन से कम मोटाई वाली सिंगल यूज पॉलिथीन का धड़ल्ले से इस्तेमाल जारी है।
**प्रशासन की उदासीनता:** स्थानीय प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी इस मुद्दे पर सख्ती से कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। नालियां पॉलिथीन से भरी पड़ी हैं, जिससे न केवल पर्यावरण दूषित हो रहा है बल्कि नगर की सफाई व्यवस्था भी चरमरा गई है। गली-मोहल्लों में पॉलिथीन का कचरा बढ़ता जा रहा है, जबकि जनप्रतिनिधि और समाजसेवी केवल नाममात्र की बयानबाजी में लगे हुए हैं।
**पर्यावरण संरक्षण: केवल कागजी काम:** राज्य और केंद्र सरकारें पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण रोकने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका असर दिखाई नहीं दे रहा है। प्रचार-प्रसार के बावजूद लोग पॉलिथीन का धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है।
**कार्यवाही का अभाव:** शासन द्वारा जारी आदेशों के बावजूद बघराजी और आसपास के क्षेत्रों में पॉलिथीन के उपयोग पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है। छोटे-बड़े व्यापारी भारी मात्रा में अमानक पॉलिथीन का भंडारण कर रहे हैं और ग्राहकों को परोस रहे हैं। इससे प्रदूषण बढ़ रहा है और बेजुबान जानवरों की जान भी खतरे में है।
समाज और प्रशासन को इस दिशा में मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे ताकि पॉलिथीन के उपयोग को रोका जा सके और पर्यावरण को संरक्षित किया जा सके।