दहिमन के नाम से विख्यात इस वृक्ष की पत्तियां, जड़ और छाल आयुर्वेदिक गुणों से हैं भरपूर
इसे स्वास्थ्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं माना जाता. यह अद्भुत पेड़ सतना के रामलोटन कुशवाहा की बगिया में आज भी मौजूद है…..
यह पेड़ कई गंभीर रोगों के इलाज में उपयोगी है. इसकी मांग भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. इसके चलते दुनिया भर के विशेषज्ञ इसे “प्राकृतिक औषधि का खजाना” मानते हैं……
दहिमन का पेड़ कई बीमारियों के उपचार में उपयोगी है…. कैंसर का इलाज: छाल और पत्तियों से निकला जूस…
किडनी में सूजन और पाचन संबंधी समस्याएं: छाल का रस….
सर्पदंश और विषाक्तता: छाल का जूस…
. ब्लड प्रेशर: पत्तियों का चूर्ण….
. मोटापा: छाल का जूस या नींबू रस के साथ छिलके का चूर्ण….
शराब छुड़ाने में सहायक: पत्तियां या जूस…..
घाव भरने में उपयोगी: पत्तियों का लेप…..
पीलिया का इलाज: पत्तियों या छाल का जूस…..
दहिमन का ऐतिहासिक महत्व
इतिहास में दहिमन के पत्तों का उपयोग कागज के रूप में होता था. रामलोटन ने बताया कि यदि इन पत्तों पर कुछ लिखा जाए तो वह लिखावट थोड़ी ही देर में उभरकर ऊपर आ जाती है. पुराने समय में इन्हीं पत्तों का उपयोग दस्तावेज लिखने के लिए किया जाता था.
दहिमन की बढ़ती मांग
दहिमन का पेड़ न केवल औषधीय गुणों से भरपूर है, बल्कि इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण इसकी मांग बढ़ती जा रही है. सतना के इस दुर्लभ पेड़ की महत्ता इसे “प्रकृति का अनमोल तोहफा” बनाती है……..
दहिमन के संबंध में मान्यता……
1- दहिमन पेड़ के छांव में बैठने से शांति मिलती है।
2- दहिमन पेड़ के छांव में या इसके लकड़ी के टुकड़े/पीढ़वा में बैठकर दारू पीने से नशा कम करता है।
दहिमन के पेड़ को पहचानें कैसे?
आप दहिमन के पत्तों पर आप कुछ भी लिखेंगे तो आपका लिखा हुआ शब्द या चित्र पत्ते में भीतर की ओर रेखा खिंचने के बजाय थोड़ी ही देर में ऊपर की ओर उभर कर आता है……..
दहिमन के अन्य नाम:
Boraginaceae, कॉर्डिया मैकलोडी हुक, दही पलाश, ढेंगन, दाई वास, भोटी, पनकी, शिकारी का पेड़, तेजसागुन, देहिपलस और दहिमन आदि नामों से जाना जाता है।