*पत्रकार शुभम तिवारी रीवा*
जिसने रीवा सहित विंध्य को अपनी सियासत से पहचान दिलाई हो, जिसने अपनी कर्मठता से अपने संतान व परिवार को विरासत में पहचान दिलाई हो। जिसकी दहाड़ व जनता के द्वारा प्रदत्त हौसले ने प्रधानमंत्री को झुकाया हो। जिसे पूरा देश सफेद शेर के नाम से जानता हो ऐसे राजनीति के पुरोधा स्वर्गीय श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी के न रहने पर उनके विरोधियों द्वारा अभद्र टिप्पणी कर उनके कार्यशैली व सम्मान को ठेस पहुंचाने की कोशिश की जा रही हो ऐसी स्थिति में उनके वारिसों द्वारा अपने दादा के स्वाभिमान की रक्षा में एक लफ्ज़ ना निकल पा रहे हों तो यह मान लेना चाहिए कि वह स्वयं व परिवार का सम्मान गिरवी रखकर अपनी प्रतिष्ठा को भी गांव में लगाकर पद का सुख भोग रहा है। बीजेपी सांसद जनार्दन मिश्रा ने सूबे के डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला की उपस्थिति में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी पर भरे मंच से टिप्पणी करते हुए कहा कि भाजपा शासन काल में एक भी गड्ढा दिख जाता है तो उसकी लीड स्टोरी बनती थी परंतु जब पूरे शहर की सड़कें गड्ढे में तब्दील थी तब श्रीनिवास तिवारी रीवा के सर्वेसर्वा हुआ करते थे। “दादा न होई दऊ आई वोट न देबै तऊ आइ” के नारे लगते थे। उन्होंने आगे कहा कि एक भी गड्ढा दादा (दऊ) नहीं पटवा पाए। सांसद जी के इस बयान पर कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने जमकर तालियां बजाईं। यह तालियां एक तरफ राजेंद्र शुक्ल के सम्मान में बज रही थी तो दूसरी तरफ दादा को चाहने वाले उनके अपमान में बज रही तालियों का घूंट पी रहे थे। विंध्य के सफेद शेर श्रीनिवास तिवारी का अपमान हो रहा था। बीजेपी सांसद के इस बयान पर ना तो डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने कोई प्रतिक्रिया दी और ना ही उनके नाती सिद्धार्थ तिवारी राज ने कुछ कहा। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि राजनीति में “पद” स्वयं के प्रतिष्ठा से भी बढ़कर होता है।