15 लाख की बह गई पुल जिम्मेदारी पर उठा रहे सवाल
बैगा विकास के लिए प्रोजेक्ट पर पड़ेगा असर
कुसमी खैरी संजीव गुप्ता की खास रिपोर्ट
सीधी जिले में बैग प्रोजेक्ट सिर्फ नाम के लिए चल रहा है क्योंकि यहां बैग जति की संरक्षण और सर्वधन के वजह कागजों में विकास करते हुए क्षेत्रीय अधिकारी कर्मचारी नजर आ रहे हैं दरअसल यह पूरा मामला सीधी जिले के जनपद पंचायत कुसमी अंतर्गत खैरी का है जहां ग्राम खैरी से देवदडी पहुंच मार्ग में मगठा नदी स्थिर है जिसके गैर मनिया नाले में पुल का निर्माण कराया गया था जो लगभग 15 लख रुपए की लागत से निर्मित था वह पहले ही बरसात में धराशाई हो गया यानी बैगाओ के लिए बनाए गए यह पल एक एक झटके में एक बारिश में ही खत्म हो गया
आपको बता दें कि ग्राम खैरी के केदेडडी गांव में 80 फ़ीसदी आबादी बैग समुदाय की है सरकार ने उनके लिए करोड़ों रुपए का प्रोजेक्ट स्वीकृत किया है जो अलग-अलग क्षेत्र में उनके विकास कार्य के लिए रखा गया है यह एक ऐसी जाति होती है जो की विलुप्त होने की कगार पर है इसलिए सरकार इनके संरक्षण करने का प्रयास कर रही है लेकिन उनके विकास की जगह इनका विनाश सरकार के कुछ नाम नमाइदे करते नजर आ रहे हैं
यह एक ऐसी पल थी जिसमें होकर प्राथमिक विद्यालय और आंगनवाड़ी के बच्चे पढ़ने के लिए जाया करते थे यानी उनकी नींव इसी रास्ते से होकर गुजरती थी लेकिन पुल टूट जाने से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और ना ही आंगनवाड़ी में उन्हें पोषण आहार मिल पा रहा है जहां शासन हर संभव प्रयास तो करती है लेकिन इसी प्रकार की कर प्राणी की वजह से अक्सर घटनाएं निकाल कर सामने आती हैं आपको बता दें कि लाखों की लागत से यह पुल आर ए एस विभाग और आदिम जाति कल्याण विकास विभाग के सहयोग से बना रहा था लेकिन ठेकेदारों को अच्छी तरह से मुनाफे देने के चक्कर में गुणवत्ता विहीन कार्य किया गया जिसका नतीजा यह पल की पूरी तरह से पुल धराशाई हो गया है
सवाल यही उठता है कि आखिर पुल का निर्माण कराया गया था तो इसकी गुणवत्ता का ध्यान क्यों नहीं दिया गया जब पुल का निर्माण हो रहा था तो अधिकारी और इंजीनियरों ने मौके पर आकर इसे देख क्यों नहीं अब जब पुल धराशाही हो गया तो इसके निर्माण कार्य के लिए जिम्मेदार पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई