डिंडौरी, मध्यप्रदेश। 6 अगस्त 2024।
भ्रष्टाचार का एक शर्मनाक मामला मेहंदवानी विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से उभर कर सामने आया है, जहां सेवानिवृत्त लेखापाल की पेंशन के लिए रिश्वत मांगने वाले अधिकारियों को लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथ पकड़ा। यह घटना सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी सच्चाई को उजागर करती है।रिपोर्ट्स के अनुसार, 30 मई 2024 को बीईओ ऑफिस से सेवानिवृत्त हुए लेखापाल मदन नामदेव के पेंशन प्रकरण को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए सहकर्मी लेखापाल राजेंद्र कुमार मार्को और राजेश उइके ने ₹40,000 की रिश्वत की मांग की। इस घिनौनी मांग के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले दीपक नामदेव, सेवानिवृत्त लेखापाल के पुत्र, ने लोकायुक्त पुलिस से मदद मांगी।
लोकायुक्त पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों के खिलाफ जाल बिछाया और उन्हें रंगे हाथ पकड़ लिया। आरोपी राजेंद्र कुमार मार्को और राजेश उइके को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। इस सफलता में उपपुलिस अधीक्षक दिलीप झरवडे, इंस्पेक्टर मंजू किरण तिर्की, इंस्पेक्टर कमल सिंह उईके, और उनकी टीम ने प्रमुख भूमिका निभाई। आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जांच की जा रही है।यह घटना सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार के स्तर को एक नया आयाम देती है। सेवानिवृत्त लेखापाल की पेंशन से जुड़े इस प्रकरण ने न केवल प्रशासनिक प्रणाली की विश्वसनीयता को चुनौती दी है, बल्कि यह दर्शाया है कि कैसे भ्रष्ट तत्व बिना किसी शर्म के ईमानदारी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।
दीपक नामदेव ने कहा, “यह मामला सिर्फ मेरे पिता की पेंशन से संबंधित नहीं है, बल्कि पूरे सरकारी तंत्र की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर प्रश्न चिह्न लगाता है। हमें उम्मीद है कि इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।”इस पूरी कार्रवाई से यह संदेश स्पष्ट होता है कि लोकायुक्त पुलिस और अन्य सरकारी एजेंसियां भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत कदम उठा रही हैं। यह घटना सरकारी संस्थानों में ईमानदारी और पारदर्शिता की आवश्यकता को एक बार फिर से रेखांकित करती है।