संभागीय ब्यूरो चीफ विनय द्विवेदी की रिपोर्ट
ब्यौहारी/शहडोल – जेल में बंद हत्या के आरोप में विचाराधीन कैदी राजेंद्र गुप्ता की 29 जुलाई 2024 को हार्ट अटैक से मौत हो गई। राजेंद्र गुप्ता, ग्राम तिखवा निवासी, पर अपने समधी की तलवार से हत्या करने और बहू को गंभीर रूप से घायल करने का आरोप था। पपौंध पुलिस द्वारा हिरासत में लेकर न्यायालय में पेश करने के बाद, उसे मउ उप जेल, ब्यौहारी भेज दिया गया था।
परिजनों का आरोप –
परिजनों ने जेल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि राजेंद्र गुप्ता पिछले 3-4 दिनों से बीमार चल रहा था, लेकिन जेल प्रशासन ने उसे उचित चिकित्सा सुविधा नहीं दी। परिजनों का कहना है कि दवा के नाम पर जेल में पैसे की मांग की जा रही थी। 29 जुलाई 2024 को मुलाकात करने गए परिजनों ने राजेंद्र गुप्ता की तबीयत बहुत खराब देखी और उसे अस्पताल में दिखाने की मांग की, लेकिन जेल प्रशासन ने न्यायालय के आदेश के बिना अस्पताल ले जाने से इंकार कर दिया।
डॉ. पर लगा आरोप –
परिजनों ने जेल में पदस्थ डॉक्टर पर दवा के नाम पर पैसे मांगने का भी आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि डॉक्टर ने दवा के लिए “खर्चा पर्चा” की मांग की थी और फोन पे से पैसे डलवाने की बात कही थी। परिजनों ने दावा किया कि समय पर दवा नहीं मिलने के कारण ही राजेंद्र गुप्ता की हार्ट अटैक से मृत्यु हुई।
अधिकारी नहीं उठाते फोन –
इस घटना के संबंध में जानकारी लेने के लिए जब जेलर शांती भूषण सिंह के मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। यह घटना प्रशासन की लापरवाही और बंदियों के प्रति असंवेदनशीलता को उजागर करती है।
निष्कर्ष –
परिजनों ने जेल प्रशासन से इस मामले की जांच कराने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। अब देखना यह है कि जिम्मेदार अधिकारी इसे कितनी गंभीरता से लेते हैं और क्या कार्यवाही करते हैं, या फिर इसी तरह दवा के अभाव में किसी और बंदी की मृत्यु का इंतजार करते रहेंगे। यह घटना जेलों में बंदियों के प्रति प्रशासन की अनदेखी और दवा की कमी की गंभीर समस्या को रेखांकित करती है। अधिकारियों को तत्काल इस समस्या का समाधान करना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।