### घटना की पृष्ठभूमि
डिंडोरी जिले के विकासखंड करंजिया के शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल गोपालपुर में एक असाधारण घटना सामने आई। लगातार बारिश के कारण सिवनी नदी उफान पर थी, जिससे पुलिया डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो गई। इस स्थिति में स्कूल के 65 छात्र-छात्राएं फंस गए थे।
### प्रभारी प्रिंसिपल की अद्वितीय पहल
प्रभारी प्रिंसिपल चैनसिंह मरावी ने इस संकट का समाधान निकालने के लिए न केवल नेतृत्व का परिचय दिया बल्कि छात्रों के प्रति पालक जैसा व्यवहार भी दिखाया। उन्होंने लगभग 50 किलोमीटर दूर से बस बुक कराई और छात्रों को सुरक्षित घर पहुंचाने का बीड़ा उठाया। उनके इस प्रयास में पुलिस चौकी प्रभारी प्रकाश श्रीवास्तव और स्कूल स्टाफ ने भी सहयोग किया।
### रेस्क्यू ऑपरेशन की योजना
जब यह स्पष्ट हो गया कि नदी का जलस्तर कम होने वाला नहीं है, चैनसिंह मरावी ने तत्काल एक बस की व्यवस्था की। इस बस ने गोपालपुर से रुसा, गोरखपुर, सैलवार, झनकी, करोंदी, भवनीटोला, बहापुर, खम्हारकुदरा होते हुए छात्रों को उनके घर तक सुरक्षित पहुंचाया। यह यात्रा जोखिमों से भरी थी, लेकिन बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि थी।
### चुनौतीपूर्ण स्थितियाँ
लगातार बारिश के कारण क्षेत्र में जलभराव और बाढ़ की स्थिति थी। सिवनी नदी के उफान पर होने से सड़क मार्ग अवरुद्ध हो गए थे। ऐसी विकट परिस्थितियों में बस का संचालन करना अपने आप में एक चुनौती थी।
### प्रशासनिक सहयोग
पुलिस चौकी प्रभारी प्रकाश श्रीवास्तव ने इस बचाव अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने मार्ग की सुरक्षा और सुचारू संचालन सुनिश्चित किया। उनके नेतृत्व में पुलिस टीम ने यह सुनिश्चित किया कि बस सुरक्षित रूप से छात्रों को उनके गंतव्य तक पहुंचा सके।
### छात्र-छात्राओं की प्रतिक्रिया
छात्र-छात्राएं और उनके अभिभावक इस पहल से अत्यंत प्रभावित हुए। कई छात्रों ने कहा कि वे इस अनुभव को कभी नहीं भूलेंगे और उन्होंने प्रिंसिपल और पुलिस के प्रति आभार व्यक्त किया। अभिभावकों ने भी इस साहसी कदम की सराहना की और इसे अनुकरणीय बताया।
### पत्रकारों की प्रतिक्रिया
इस घटना पर स्थानीय पत्रकारों ने भी ध्यान दिया और इसे एक सकारात्मक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल मरावी की यह पहल अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणा का स्रोत होनी चाहिए। शिक्षकों का यह कर्तव्य होना चाहिए कि वे विद्यालय के अलावा भी छात्रों की सुरक्षा का ध्यान रखें।
### शिक्षा क्षेत्र में एक नई मिसाल
यह घटना शिक्षा जगत में एक मिसाल बन गई है। आमतौर पर शिक्षक अपने शैक्षणिक कर्तव्यों तक ही सीमित रहते हैं, लेकिन चैनसिंह मरावी ने यह दिखा दिया कि शिक्षक का दायित्व केवल पढ़ाने तक सीमित नहीं होता।
### भविष्य की राह
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि यदि शैक्षणिक संस्थान और प्रशासन मिलकर काम करें, तो किसी भी संकट का समाधान निकाला जा सकता है। छात्रों की सुरक्षा और उनकी भलाई हमेशा प्राथमिकता होनी चाहिए।
### निष्कर्ष
प्रभारी प्रिंसिपल चैनसिंह मरावी का यह प्रयास एक उदाहरण है कि साहस और सेवा भावना के साथ कार्य करने पर असंभव को संभव बनाया जा सकता है। इस घटना ने यह भी साबित किया कि जब शिक्षक, प्रशासन और समुदाय मिलकर काम करते हैं, तो वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।
यह कहानी न केवल एक संकट से निपटने की है, बल्कि यह शिक्षा के क्षेत्र में समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा की एक प्रेरक कहानी भी है।