बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में बीएससी एग्रीकल्चर थर्ड ईयर के छात्रों ने धान रोपाई की कि
आज जहां एक ओर हम सब खेती करने की ओर से विमुख हो रहे हैं ऐसे में एग्रीकल्चर से संबंधित विश्वविद्यालय के विभाग एक बार पुनः छात्रों को उन्नतशील खेती करना सीखकर नई पीढ़ी को कृषि के लिए प्रेरित कर सकते हैं इसमें अपार संभावनाएं हैं क्योंकि हम कितनी भी तरक्की कर ले हमें रोटी किसान के द्वारा की गई मेहनत से उगे गेहूं से ही प्राप्त होगी ऐसे में हम समस्त खाद्य सामग्री कृषि से ही प्राप्त करते हैं
ऐसे में भारत के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्र में अलग-अलग फैसले पैदा होती है उन फसलों का ही विशेष वैज्ञानिक तरीके से खेती करने की सीख वहां के छात्रों को देनी चाहिए
और यह एक ऐसा शानदार तरीका हो सकता है जिससे देश में बेरोजगारी को कम समय में खत्म किया जा सकता है और देश का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
इस समय भारत के विद्यार्थी एक अंधी दौड़ में दौड़ रहे हैं हर कोई
नीट के क्लियर करके डॉक्टर और इंजीनियर बनने के लिए बड़ी संख्या में तैयारी करता है लेकिन स्कूल के दिनों से ही कृषि एग्रीकल्चर लेकर पढ़ने वाले विद्यार्थी को सबसे कमजोर माना जाता है और निचली कक्षा के स्तर पर अक्सर जितने भी इंटर कॉलेज है वहां पर कृषि से संबंधित पढ़ाई का नाम मात्र का चलन है वह भी सिर्फ कागजों पर जैसे विज्ञान को महत्व दिया जाता है वैसे कृषि विज्ञान को भी महत्व देना जरूरी है 12वीं पास के बाद जहां लोग डॉक्टर इंजीनियर बनने के लिए होड में लगे रहते हैं क्या वही कृषि से संबंधित अच्छी तकनीकी सीखने के लिए विद्यार्थियों में इसकी रुचि नहीं पैदा की जा सकती हैं?