**शहडोल**— (विनय द्विवेदी की रिपोर्ट)
जिले में अवैध रूप से संचालित क्लीनिकों पर प्रशासन की सख्त नजर। कमिश्नर बीएस जामोद और कलेक्टर तरुण भटनागर के मार्गदर्शन में, सीएमएचओ डॉ. ए.के. लाल के निर्देशन में चल रही कार्रवाई के तहत डीएचओ डॉ. राजेश मिश्रा ने पुरानी बस्ती में अवैध संजीवनी क्लीनिक और केयर पैथोलॉजी का निरीक्षण किया।
*अवैध संचालन का भंडाफोड़*
निरीक्षण में पाया गया कि ये क्लीनिक बिना लाइसेंस और चिकित्सकीय प्रमाण के चल रहे थे। इस अनियमितता को देखते हुए, डीएचओ और उनकी टीम ने मौके पर ही क्लीनिक को सील कर दिया। यह कार्रवाई क्षेत्र में स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई।
*अवैध क्लीनिकों पर लगाम जरूरी*
इस प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगाना अत्यंत आवश्यक है। अगर आपके नगर में भी इस तरह के अवैध क्लीनिक संचालित हो रहे हैं, तो प्रशासन को तत्काल सूचित करें।
*सुझाव और चेतावनी*
1. **सख्त निरीक्षण**: नियमित रूप से चिकित्सा प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया जाना चाहिए।
2. **लाइसेंस की जांच**: सभी क्लीनिकों के लाइसेंस और प्रमाणपत्रों की जांच होनी चाहिए।
3. **सामाजिक जागरूकता**: जनता को अवैध चिकित्सा सुविधाओं के खतरों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।
4. **कानूनी कार्रवाई**: अवैध गतिविधियों में लिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
इन ठोस कदमों से हम अपने शहर को स्वस्थ और सुरक्षित बना सकते हैं।
मध्य प्रदेश में अवैध क्लिनिक संचालन पर नियम:
मध्य प्रदेश में, चिकित्सा सेवाओं के संचालन को विनियमित करने के लिए दो मुख्य कानून हैं:
*भारतीय चिकित्सा अधिनियम, 1956:* यह अधिनियम चिकित्सा शिक्षा और पंजीकरण के लिए राष्ट्रीय मानकों को निर्धारित करता है। इसमें यह भी प्रावधान है कि केवल योग्य और पंजीकृत चिकित्सक ही चिकित्सा पेशा का अभ्यास कर सकते हैं।
*मध्य प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं (संशोधन) अधिनियम, 2010:* यह अधिनियम राज्य में चिकित्सा सेवाओं के संचालन के लिए विशिष्ट नियमों को निर्धारित करता है। इसमें अवैध क्लिनिकों के संचालन के खिलाफ कार्रवाई करने का भी प्रावधान है।
*इन कानूनों के अनुसार, निम्नलिखित कार्य अवैध माने जाते हैं:*
1. बिना पंजीकरण के चिकित्सा पेशा का अभ्यास करना: केवल वे व्यक्ति ही चिकित्सा पेशा का अभ्यास कर सकते हैं जिन्होंने भारतीय चिकित्सा परिषद या राज्य चिकित्सा परिषद से पंजीकरण प्राप्त किया है।
2. योग्य चिकित्सा डिग्री या योग्यता के बिना चिकित्सा उपचार प्रदान करना: केवल योग्य चिकित्सक ही रोगों का निदान और उपचार कर सकते हैं।
3.गलत तरीके से दवाइयां लिखना या बेचना: केवल पंजीकृत फार्मासिस्ट ही दवाइयां बेच सकते हैं।
4.अनुचित विज्ञापन या दावे करना: चिकित्सक झूठे या भ्रामक दावे नहीं कर सकते हैं कि वे कौन सी बीमारियों का इलाज कर सकते हैं।
*अवैध क्लिनिकों पर कार्रवाई:*
अवैध क्लिनिकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए, मध्य प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं (संशोधन) अधिनियम, 2010 के तहत निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं:
1.जिला स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) या उनके अधिकृत प्रतिनिधि अवैध क्लिनिकों पर छापा मार सकते हैं और दस्तावेजों और दवाओं को जब्त कर सकते हैं।
2.अवैध क्लिनिक संचालकों पर जुर्माना लगाया जा सकता है या उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है।बार-बार उल्लंघन करने वालों का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
* भारतीय चिकित्सा अधिनियम, 1956
* मध्य प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं (संशोधन) अधिनियम, 2010
* मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग
*सामान्य जन के लिए महत्वपूर्ण बातें:*
1.यदि आपको संदेह है कि कोई क्लिनिक अवैध रूप से संचालित हो रहा है, तो आप इसकी शिकायत जिला स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) या मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग से कर सकते हैं।
2.अपनी सेहत के लिए हमेशा पंजीकृत और योग्य चिकित्सकों से ही इलाज करवाएं।