*देश में लागू हो रहे नए कानून न्याय की दृढ़ भावना के प्रतीक: दिलीप पांडे*
*कानून में हो रहे संशोधन देश की न्याय व्यवस्था को मजबूत कर आम जनता को राहत पहुंचाएंगे: दिलीप पांडे*
1 जुलाई का दिन पूरे देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कानून बदलकर नए कानून लागू किये जा रहे हैं।हमारी सरकार द्वारा गुलामी की मानसिकता वाले पुराने कानूनों को हटाकर, भारतीयता के भाव को प्रदर्शित करने वाले तीन नए कानून ‘भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ को लागू किया जा रहा है, जिनके मूल में सजा देने की बजाय न्याय की दृढ़ भावना है।आज से काफी कुछ बदलने जा रहा है. खासकर क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में आज से 1860 में बनी IPC की जगह भारतीय न्याय संहिता, 1898 में बनी CRPC की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम ले लेगी। इन तीनों नए कानूनों के लागू होने के बाद कई सारे नियम-कायदे बदल जाएंगे. इनमें कई नई धाराएं शामिल की गई हैं तो कुछ धाराओ में बदलाव हुआ है, कुछ हटाई गई हैं नए कानून लागू होने पर आम आदमी, पुलिस, वकील और अदालतों के कामकाज में काफी बदलाव होगा। जिला अध्यक्ष दिलीप पांडे जी ने कहा कि लागू हो रहे कानून ब्रिटिश काल के आपराधिक कानूनों की जगह लेने जा रहे है। बीते कार्यकाल में तीनो कानून लोकसभा और राज्यसभा में पास हो चुके थे। इस कानून के तहत देश विरोधी गतिविधियों में शामिल गद्दारों के खिलाफ, बेहद सख्त प्रावधान किया गया हैं। इस नए कानूनों के अनुसार, ”न्यायाधीश को सात दिनों में और अधिकतम 120 दिनों में ही सुनवाई करनी होगी। फर्जी पहचानपत्र का इस्तेमाल करके महिलाओं को फंसाना, इस नए आपराधिक कानूनों के तहत बहुत बड़ा अपराध है।यह वास्तव में मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है, क्यों कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत की आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया था और उसी दौर के कानूनों को यानी अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए कानून भारतीय दंड संहिता का पालन कर रहा है। यह हमारे लिए शर्म की बात है। सही मायने में अब हम स्वतंत्र होंगे और मोदी युग में इतिहास रचा जा रहा है। पुराने कानून में बदलाव करना बहुत जरूरी थी। लागू हो रहे कानून अपराध रोकथाम और अपराधी के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। पुराने कानून अप्रसांगिक हो चुके थे अपराधी अपराध के नए नए तरीके अपनाकर अपराध कर रहे थे और कानून में उनका उल्लेख न होने से अपराध करने के बाद भी वह बच जाते थे। नए कानून में ऐसी महत्वपूर्ण प्रावधानों को समाहित किया गया है जिससे अपराधी किसी भी कीमत में बच न सके वा निर्दोष सुरक्षित रहे।अंग्रेजो के जमाने से चले आ रहे कानूनो में वह दम नही था जो भारत को अपराध मुक्त कर सके। अपराध में लगाम लगाया जा सके। अपराधियो को कड़ी सजा दिया जा सके। क्यों कि अपराधी भी किसी घटना को ऐसे अंजाम देते थे ताकि वह कानून की गिरफ्त में न आये। आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी का कार्यकाल राष्ट्र के हितार्थ वरदान साबित हो रहा है।
राष्ट्र हितैषी जन हितैषी योजनाओ से भारत सज संवर रहा है वही नवीन कानून लागू होने से अपराधियो की कमर टूटेगी वा अपराध में लगाम लगेगा। नए कानून सज्जनशक्ति को पोषण देगे कोई भी निर्दोष फसेगा नही और दुर्जन शक्तियों पर शिकंजा कसा जाएगा और अपराधियों को कड़ी सजा मिलेगी। टेक्नोलॉजी के इस दौर में नए कानून बेहद महत्वपूर्ण है। अपराध के किसी भी तरीको पर कारगर चोट करने में नए कानून सक्षम है। नए कानून लागू होने से पहले विवेचक का विवेक ही महत्वपूर्ण माना जाता था भले भी विवेचना ठीक तरीके से न हुई हो। अर्थात जांच कर्ता पुलिस अधिकारी को जो सही लगा वह लिखता था अब विवेचक के विवेक के साथ विवेचना के आधुनिक तरीको का उपयोग किया जाएगा टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा घटना स्थल की वीडियोग्राफी की जाएगी बयानों की वीडियोग्राफी की जाएगी। किसी भी निर्दोष को फसाया नही जा सकेगा वा अपराधी को बचाया भी नही जा सकेगे कोर्ट एक निर्धारित समय सीमा के भीतर आरोप तय कर सुनवाई करेगी। भाजपा जिला अध्यक्ष श्री दिलीप पाण्डेय जी ने कहा कि तीनों पुराने कानून गुलामी की निशानियों से भरे हुए थे,ग़ुलामी की इन निशानियों को समाप्त कर हम नए कानून लेकर आए हैं। कानून में दस्तावेज़ों की परिभाषा का विस्तार कर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर, कम्प्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप्स, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य, डिवाइस पर उपलब्ध मेल, मैसेजेस को कानूनी वैधता दी गई है। FIR से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट और चार्जशीट से जजमेंट तक की सारी प्रक्रिया को डिजिटलाइज़ करने का प्रावधान इस कानून में किया गया है।भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों में कड़ी सजा का प्रावधान है। भारत की संप्रभुता या अखंडता को खतरे में डालने वाले किसी भी व्यक्ति को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। वहीं, मॉब लिंचिंग और नाबालिग से दुष्कर्म में शामिल लोगों को अधिकतम मौत की सजा दी जा सकती है। हत्या के जुर्म के लिए सजा-ए-मौत या आजीवन कारावास की सजा होगी। दुष्कर्म में शामिल लोगों को कम से कम 10 साल की जेल या आजीवन कारावास की सजा होगी और सामूहिक दुष्कर्म के लिए कम से कम 20 साल की कैद या उस व्यक्ति के शेष जीवन के लिए कारावास की सजा होगी।नया कानून लागू होने के बाद नागरिक किसी भी पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज करा सकेंगे, चाहे उनका अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो। जीरो एफआईआर को क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन को अपराध पंजीकरण के बाद 15 दिनों के भीतर भेजा जाना अनिवार्य होगा।जिरह अपील सहित पूरी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से की जाएगी।यौन अपराधों के पीड़ितों के बयान दर्ज करते समय वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी।सभी प्रकार के सामूहिक बलात्कार के लिए सजा 20 साल या आजीवन कारावास की होगी। एफआईआर के 90 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से चार्जशीट दाखिल की जाएगी। न्यायालय ऐसे समय को 90 दिनों के लिए और बढ़ा सकता है, जिससे जांच को समाप्त करने की कुल अधिकतम अवधि 180 दिन हो जाएगी।आरोप पत्र प्राप्त होने के 60 दिन के भीतर अदालतों को आरोप तय करने का काम पूरा करना होगा।सुनवाई के समापन के बाद 30 दिन के भीतर अनिवार्य रूप से फैसला सुनाया जाएगा।फैसला सुनाए जाने के सात दिन के भीतर अनिवार्य रूप से ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा।तलाशी और जब्ती के दौरानवीडियोग्राफी अनिवार्य होगी।सात साल से अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक टीमों को अनिवार्य रूप से अपराध स्थलों का दौरा करना होगा।जिला स्तर पर मोबाइल एफएसएल की तैनाती होगी।सात साल या उससे अधिक की सजा वाला कोई भी मामला पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिए बिना वापस नहीं लिया जाएगा।संगठित अपराधों के लिए अलग, कठोर सजा का प्रावधान है। साथ ही चेन / मोबाइल स्नैचिंग और इसी तरह की शरारती गतिविधियों के लिए अलग प्रावधान हैबच्चों के खिलाफ अपराध के लिए सजा को सात साल से बढ़ाकर 10 साल करने का विधान है।मृत्युदंड की सजा को कम करके अधिकतम आजीवन कारावास में बदला जा सकता है, आजीवन कारावास की सजा को कम करके अधिकतम सात साल के कारावास में बदला जा सकता है किसी भी अपराध में शामिल होने के लिए जब्त किए गए वाहनों की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। साथ धाराओं में भी परिवर्तन किया गया है।