पोरसा विशेष रिपोर्ट: पत्रकार विनय की कलम से…!
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की तरसमा ग्राम पंचायत आज भी मोबाइल नेटवर्क जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित है। करीब 2,500 की आबादी और 1,800 से अधिक मोबाइल फोन होने के बावजूद, यहां के लोग कई वर्षों से नेटवर्क संकट से जूझ रहे हैं।
जहां एक ओर सरकार डिजिटल इंडिया का सपना आगे बढ़ा रही है, वहीं तरसमा गांव के लोग आज भी मोबाइल सिग्नल के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
मुख्य समस्याएं:
1. मोबाइल नेटवर्क का टोटा:
गांव में न तो BSNL और न ही कोई निजी मोबाइल ऑपरेटर पर्याप्त नेटवर्क उपलब्ध करवा पा रहा है। लोग अक्सर कॉल करने के लिए पेड़ पर चढ़ते हैं, छतों पर दौड़ते हैं या गांव से बाहर निकल कर नेटवर्क तलाशते हैं।
2. ऑनलाइन पढ़ाई और डिजिटल सेवाएं बाधित:
स्कूली और कॉलेज के छात्रों को ऑनलाइन क्लासेस के दौरान काफी दिक्कत होती है। वहीं सरकारी योजनाओं, ऑनलाइन बैंकिंग और डिजिटल लेन-देन जैसी सेवाओं तक पहुंच भी बेहद मुश्किल हो गई है।
3. आपात स्थिति में संचार बाधित:
बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाना हो या किसी अन्य आपात स्थिति में मदद लेनी हो—नेटवर्क की कमी के कारण स्थिति और भी भयावह हो जाती है।
4. सरकारी और निजी उदासीनता:
ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और मोबाइल कंपनियों से शिकायत की, पर कोई ठोस समाधान नहीं निकला। लोग अब सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज़ उठा रहे हैं, लेकिन अभी तक सुनवाई नहीं हो सकी है।
स्थानीय निवासियों की मांग:
तरसमा के लोगों ने सरकार और टेलीकॉम कंपनियों से मांग की है कि गांव में मोबाइल टावर की स्थापना की जाए ताकि उन्हें भी डिजिटल सुविधाओं का लाभ मिल सके और वे बाकी देश की तरह विकास की दौड़ में शामिल हो सकें।

गांव के निवासी सत्यपाल सिंह तोमर ने कहा:
“हमारे गांव में करीब हर घर में मोबाइल है, लेकिन उसका फायदा नहीं मिल पा रहा। बच्चों की पढ़ाई से लेकर बैंक के काम तक सब रुक जाता है। कई बार जरूरी कॉल करने के लिए हमें किलोमीटरों दूर जाना पड़ता है। हमने कई बार अधिकारियों को बताया, आवेदन भी दिए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब सोशल मीडिया पर अपनी बात रख रहे हैं, उम्मीद है कोई हमारी आवाज सुनेगा।”